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नई दिल्ली

मेजर के साथ दो दिन होटल में रही पत्नी, फुटेज मांगने कोर्ट पहुंचा पति, मिला टका सा जवाब

Delhi Court: दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को भारतीय सेना के एक मेजर की याचिका खारिज कर दी, जिन्होंने एक होटल की सीसीटीवी फुटेज मांगी थी और आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी का एक अन्य सेना मेजर के साथ संबंध है।

नई दिल्लीMay 25, 2025 / 06:45 pm

Vishnu Bajpai

Delhi Court: दूसरे मेजर के साथ मेरी पत्नी गई होटल- मेजर पति को हुआ शक तो फुटेज मांगने चला गया कोर्ट, जज से मिला टका सा जवाब

Delhi Court: दूसरे मेजर के साथ मेरी पत्नी गई होटल- मेजर पति को हुआ शक तो फुटेज मांगने चला गया कोर्ट, जज से मिला टका सा जवाब। (फोटोः AI)

Delhi Court: दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को निजता के अधिकार पर फैसला लेते हुए सेना के मेजर की याचिका खारिज कर दी। अदालत का कहना था कि पितृसत्तामक दृष्टिकोण को अब बदला जाना चाहिए। निजी रिश्तों और वैवाहिक विवादों में किसी की निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। इसी टिप्पणी के साथ दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने गुरुवार को भारतीय सेना के एक मेजर द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया। जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी और एक अन्य सेना अधिकारी के बीच अवैध संबंधों का आरोप लगाते हुए होटल की सीसीटीवी फुटेज और बुकिंग विवरण मांगा था।

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पहले जानिए क्या था पूरा मामला?

दरअसल, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में याचिकाकर्ता मेजर ने अनुरोध किया था कि एक होटल को 25 और 26 जनवरी की बुकिंग डिटेल्स और होटल के कॉमन एरिया की सीसीटीवी फुटेज देने के निर्देश दिए जाएं। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मेजर का आरोप था कि जिन दिनों की वह होटल में बुकिंग और सीसीटीवी की डिटेल मांग रहा है। उन्हीं दिनों उनकी पत्नी सेना के एक अन्य मेजर एक साथ होटल में रुकी थी। उन्होंने यह जानकारी अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की प्रक्रिया में इस्तेमाल करने के लिए मांगी थी। जो पहले से अदालत में विचाराधीन है।

कोर्ट ने बताई पत्नी के निजता को प्राथमिकता की जरूरत

इस मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के सिविल जज वैभव प्रताप सिंह ने साफ कहा कि पत्नी के निजता के अधिकार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी महिला को केवल एक पुरुष की संपत्ति मानने की धारणा अब स्वीकार्य नहीं है। जज वैभव प्रताप सिंह ने कहा “एक पुरुष द्वारा किसी अन्य पुरुष की पत्नी को चुराने की पुरानी धारणा, जिसमें महिला की कोई इच्छा या भूमिका नहीं मानी जाती, अब स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है और उन्हें अमानवीय बनाता है।” इसके साथ ही उन्होंने याचिका खारिज कर दी।
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निजता का अधिकार और डेटा सुरक्षा

याचिका खारिज करने से पहले अदालत ने यह भी कहा कि होटल में ठहरने वाला व्यक्ति, चाहे वह महिला-पुरुष कोई भी हो। होटल के रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज तक तीसरे पक्ष की पहुंच उसकी निजता के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता न तो उस समय होटल में मौजूद थे और न ही उनके पास फुटेज या बुकिंग डिटेल्स मांगने का कोई वैध कानूनी आधार है। इसलिए भी यह मामला खारिज करने लायक है।

व्यभिचार को अपराध न मानने की दलील

फैसले में अदालत ने भारतीय संसद द्वारा हाल ही में पारित भारतीय न्याय संहिता (BNS) का उल्लेख भी किया। जिसमें औपनिवेशिक दंड संहिता को हटाते हुए व्यभिचार को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। इससे यह संकेत मिलता है कि आज के भारत में लैंगिक असमानता और पितृसत्तात्मक विचारधारा के लिए कोई स्थान नहीं है। दूसरी ओर इस मामले में होटल प्रबंधन ने अदालत को बताया कि उनके यहां अधिकतम 90 दिनों तक ही सीसीटीवी फुटेज संग्रहित रखी जाती है और याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई तारीखों की फुटेज अब मौजूद नहीं है। अतः फुटेज देना संभव नहीं है।

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