घटना का ऐसे हुआ खुलासा
रविवार शाम को संजय गांधी अस्पताल से पुलिस को सूचना मिली कि एक व्यक्ति को मृत अवस्था में लाया गया है। मृतक शाहिद के भाई ने पुलिस को बताया कि फरजाना ने दावा किया था कि शाहिद ने कर्ज के दबाव में आकर आत्महत्या की है। लेकिन जब पुलिस ने शव का मुआयना किया, तो शरीर पर मिले तीन गहरे घावों ने आत्महत्या की थ्योरी पर सवाल खड़े कर दिए। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने इस संदेह को और पुख्ता कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि ये घाव खुदकुशी के नहीं हो सकते। ये स्पष्ट रूप से हत्या के संकेत थे। इसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता से जांच शुरू की।
डिजिटल सबूतों ने खोली पोल
पुलिस ने फरजाना के मोबाइल फोन की जांच की तो उसमें मिली इंटरनेट सर्च हिस्ट्री ने मामले की कड़ी खोल दी। सर्च में “नींद की गोलियों से किसी को कैसे मारा जाए”, “सल्फास खिलाकर हत्या करने के तरीके”, और “चैट हिस्ट्री कैसे डिलीट करें” जैसे विषय शामिल थे। इन डिजिटल सबूतों को सामने रखकर जब फरजाना से दोबारा पूछताछ की गई, तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया।
हत्या के पीछे रिश्तों की जटिलता और आर्थिक तनाव
पूछताछ में फरजाना ने खुलासा किया कि वह अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थी। उसका कहना था कि पति से शारीरिक संबंधों में संतुष्टि नहीं मिलती थी और शाहिद ऑनलाइन सट्टेबाजी में डूबा हुआ था, जिससे भारी कर्ज चढ़ गया था। इसके साथ ही फरजाना ने यह भी माना कि उसका अफेयर अपने चचेरे देवर (शाहिद के कजिन) से चल रहा था। पुलिस के मुताबिक, शाहिद और फरजाना दोनों मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले हैं और दिल्ली में रहकर मजदूरी करते थे। फिलहाल फरजाना को गिरफ्तार कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है।
कुछ दिन पहले की एक और चौंकाने वाली हत्या
दिल्ली में वैवाहिक रिश्तों के तनाव से जुड़ी यह कोई पहली घटना नहीं है। कुछ दिन पहले ही एक और दर्दनाक वारदात सामने आई थी। जिसमें एक महिला ने अपने चचेरे देवर के साथ मिलकर अपने पति की हत्या कर दी थी। उस मामले में भी पति-पत्नी के बीच संबंधों में तनाव और प्रेम-प्रसंग मुख्य कारण थे। महिला और उसके प्रेमी (देवर) ने मिलकर पहले हत्या की योजना बनाई और फिर क्रूरता से पति की जान ले ली। दोनों ही घटनाएं यह बताती हैं कि पारिवारिक और वैवाहिक तनाव किस हद तक लोगों को अंधकार की ओर ले जा सकता है। डिजिटल युग में सर्च हिस्ट्री जैसे तकनीकी साक्ष्य अब पुलिस जांच का अहम हिस्सा बन चुके हैं, जिससे अपराधियों को कानून से बच पाना मुश्किल होता जा रहा है। यह मामला एक बार फिर से रिश्तों में बढ़ते अविश्वास, सामाजिक दबाव और डिजिटल तकनीक की भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।