दिल्ली में आम आदमी पार्टी का क्या होगा?
दिल्ली चुनाव 2025 के बाद नौ एग्जिट पोल्स के आंकड़ों में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है। जबकि दो एग्जिट पोल्स में
आम आदमी पार्टी की चौथी बार सरकार बनती दिख रही है। अगर भाजपा आई तो आप के भविष्य के लिए बड़ा खतरा होगा। आप मुख्य रूप से दिल्ली की सत्ता के दम पर ही अपना राजनीतिक अस्तित्व मजबूत बनाए रख पा रही है। ऐसे में उसकी बुनियाद हिल सकती है। खास बात यह है कि उसे संभालने का मौका फिर पांच साल बाद ही मिल पाएगा, क्योंकि दिल्ली के बाहर पार्टी का संगठन उतना मजबूत नहीं है। दिल्ली की सत्ता खोने के बाद इसे मजबूत करना भी मुश्किल ही होगा।
अगर आप सत्ता से बाहर हुई तो अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व को पार्टी के भीतर से खुले आम चुनौती मिलने का खतरा बढ़ जाएगा। दिल्ली में पार्टी को प्रासंगिक और मजबूत बनाए रखने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत होगी। ऐसे में अगर पार्टी में असंतोष बढ़ा तो केजरीवाल के लिए मुश्किल भी बढ़ेगी।
पंजाब में भी पार्टी पर बढ़ेगा दबाव
दिल्ली में आम आदमी पार्टी अगर सत्ता से बाहर हुई तो पंजाब सरकार पर भी राजनीतिक दबाव बढ़ सकता है। वहां भी संगठन के मतभेद बाहर आ सकते हैं और संगठन की ताकत पर असर पड़ सकता है। पंजाब में आम आदमी पार्टी के असंतुष्ट नेता दूसरे दलों का दामन भी थाम सकते हैं।
आप नेताओं की मुश्किलें बढ़ेंगी
दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया समेत कई नेता शराब घोटाले के आरोपी हैं। ये फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर हैं। इसके अलावा दिल्ली में भाजपा पहले ही आम आदमी पार्टी पर भ्रष्टाचार करने के कई आरोप जड़ चुकी है। ऐसे में सत्ता से बेदखल होने पर आरोपों के खिलाफ लड़ाई लड़ने में भी आम आदमी पार्टी के नेता कमजोर पड़ सकते हैं। भाजपा पर क्या असर?
भाजपा की बात करें तो एग्जिट पोल के अनुमान सही साबित होने की स्थिति में महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद दिल्ली की जीत से भाजपा का उत्साह सातवें आसमान पर जा सकता है। इससे आरएसएस के सामने भी मौजूदा पार्टी नेतृत्व की स्थिति मजबूत हो सकती है। साल के अंत में बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भी पार्टी के हौसले बुलंद बन सकते हैं। भाजपा के लिए एक अच्छी बात यह भी होगी कि दिल्ली में उसका कोई मजबूत प्रतिद्वंदी नहीं रह जाएगा।
अगर दिल्ली में भाजपा की सरकार बनी तो दिल्ली व केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के लेकर ‘खींचतान’ नहीं रहेगी। आप की सत्ता के दौरान दिल्ली की जनता ने दोनों सरकारों के बीच ‘तकरार’ लगभग पूरे समय देखी है। दिल्ली में कानून व्यवस्था के मसले पर भी यह ‘लड़ाई’ चलती रही है।
कैसे आगे बढ़ती गई आम आदमी पार्टी?
साल 2013 के चुनावों में दिल्ली की सत्ता का तख्तापलट करने वाली आम आदमी पार्टी चौथी बार खुद सत्ता से बाहर हुई तो अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, दिल्ली में हुए अन्ना आंदोलन के बाद काम की राजनीति और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया था। साल 2013 में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की 28 सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा को 32 तो कांग्रेस के हिस्से केवल 7 सीटें आईं। पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की वजह से आम आदमी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ और अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने। बाद में आपसी विवाद के चलते उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद साल 2015 के विधानसभा में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी ने अकेले दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की। साल 2020 में भी अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में 62 सीटों पर जीत दर्ज की। इस दौरान कांग्रेस का दिल्ली में सूफड़ा साफ हो गया।