पायलट ने यह बातें कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद पत्रकार वार्ता में कही। पायलट ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, चरणजीत सिंह चन्नी के साथ सीडब्ल्यूसी की बैठक के निर्णयों की जानकारी दी। पायलट ने कहा कि इस संकट की घड़ी में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी सरकार को पूर्ण समर्थन दे चुके हैं। कांग्रेस भारत सरकार के सभी निर्णयों के साथ है। कांïग्रेस चाहती है कि आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। भारत सरकार के जितने भी संसाधन हैं, उन्हें जुटाकर ऐसा जवाब देना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटना कभी न हो। सरकरा को बेहतर पता है कि क्या करना है, क्योंकि उनके पास सभी खुफिया जानकारी और संसाधन हैं। अंतरराष्ट्रीय दबाव की जानकारियां है। हमारा मानना है कि सरकार को संकोच नहीं करना चाहिए, पूरा देश उनके साथ खड़ा है।
मोदी ने पहले विरोध किया, अब समर्थन कर रहे
पायलट ने कहा कि भाजपा के एक बहुत बड़े नेता का बयान आया था बंटोगे तो कटोगे, राहुल गांधी को अर्बन नक्सल कहा गया। जातिगत जनगणना को देश और समाज के लिए जहर की संज्ञा दी थी। अब उसी जाति जनगणना कराने की बात कर रहे हैं। आज जनता के दबाव, कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के लगातार संसद के अंदर-बाहर इस मांग को उठाने पर मोदी सरकार यह समझ गई कि जन भावना कांग्रेस के साथ है। देश की अधिकांश जनता भागीदारी चाहती है। पायलट ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस और उसकी योजनाओं की बुराई की और बाद में उन्हीं योजनाओं की तरफदारी कर अपनी बताने लगे। पायलट ने ‘आधार’, डायरेक्ट डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, एफडीआई, जीएसटी जैसी योजनाओं के नाम है।
56 इंच की छाती को छोडि़ए, 56 सवाल पूछिए
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने पहले हमारी मांग की आलोचना की और जब पूरा देश पहलगाम आतंकी हमले को लेकर शोक मना रहा है तो अचानक से जातिगत जनगणना करवाने का फैसला क्यों लिया गया? जयराम ने कहा कि अब सवाल यह है कि जातिगत जनगणना की डिटेल, प्रश्नावली और बजट का आवंटन कहां है? उन्होंने तेलंगाना के मॉडल का हवाला देते हुए कहा कि वहां जाति जनगणना में 56 सवाल पूछे गए हैं। अब हम कह रहे हैं कि 56 इंच की छाती को छोडक़र 56 सवाल पूछना चाहिए।
एक कॉलम लिखने से कुछ नहीं होगा-बघेल
छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि राहुल गांधी हमेशा से जातिगत जनगणना की बात करते रहे हैं। केंद्र सरकार अचानक से ये निर्णय लेगी ये हमने नहीं सोचा था, सरकार सच में जातिगत जनगणना कराना चाहती है या सिर्फ ध्यान भटकाना चाहती है? कांग्रेस पार्टी और राहुल लगातार अभियान चलाते रहे हैं, सरकार का ये फैसला लेना हमारी जीत है। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण की तरह इस फैसले का भी हाल नहीं होना चाहिए, जातिगत जनगणना के नाम पर एक कॉलम लिख देने से कुछ नहीं होगा। हमारी मांग है कि हर एक व्यक्ति की शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक स्थिति का आंकलन होना चाहिए। आरक्षण से 50 फीसदी की सीमा हटनी चाहिए। तभी सही मायने में सामाजिक न्याय की बात पूरी होगी।