ऑपरेशन सिंदूर को बताया गलत कदम
इंटरव्यू के शुरुआत में हुसैन हक्कानी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की आलोचना की। उन्होंने कहा “ऐसी कार्रवाइयों से आतंकी हमले रुकते नहीं हैं, बल्कि आतंकियों के इरादे और मजबूत हो जाते हैं।” उनका मानना है कि यह एक रणनीतिक भूल है, जो हिंसा को बढ़ावा देती है। पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने कहा “भारत ने जल्दबाजी में पाकिस्तान पर आरोप लगाकर सीधी सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी। जबकि सबूत इकट्ठा कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन लेना ज्यादा कारगर होता।” इस दौरान उन्होंने साल 2008 के मुंबई हमले का उदाहरण देते हुए कहा कि तब भारत के पास अजमल कसाब जैसे पक्के सबूत थे। जिससे पाकिस्तान पर दबाव बना, लेकिन इस बार भारत के पास पक्के सबूत नहीं थे। इसलिए इस बार भारत को थोड़ा समय लेकर सबूत इकट्ठा करने चाहिए थे। उसके बाद कार्रवाई के बारे में सोचना चाहिए था।
आतंकवाद से लड़ाई में बहुआयामी रणनीति पर चर्चा
पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिए सिर्फ सेना पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। आतंकवाद से लड़ने के लिए उन्होंने एक भारत को एक बहुआयामी रणनीति बनाने की जरूरत बताई। हक्कानी का कहना था कि इस रणनीति में खुफिया जानकारी के आधार पर काम होना चाहिए। इसके साथ ही पूरे देश को निशाना नहीं बनाया चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को धैर्य रखना होगा और भावनाओं को बढ़ाने की बजाय शांति के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। आखिर किस बात पर बिगड़ी बात?
साक्षात्कार के दौरान विवाद तब पैदा हो गया। जब पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्कानी ने कहा कि पाकिस्तान सभी आतंकी संगठनों को खत्म करने का फैसला भी कर ले। तब भी कुछ आतंकी समूह काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अब ये समूह सिर्फ भारत ही नहीं, पाकिस्तान के लिए भी खतरा बन चुके हैं। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार करण थापर ने हक्कानी से पूछ लिया कि क्या इसका मतलब है कि पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र है? वरिष्ठ पत्रकार के इसी सवाल पर हुसैन हक्कानी नाराज हो गए और इंटरव्यू छोड़कर चले गए।