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बाड़मेर से छौंके लायक जीरा भी नहीं देंगे तुर्किए को, न मिलेगा हमारा अनार

तुर्किए से बाड़मेर आने वाले सेब अब बंद हो गए हैं। अहमदाबाद और जोधपुर के माध्यम से बाड़मेर में जो सेब आ रहे थे, उनमें तुर्किए की हिस्सेदारी अधिक थी। व्यापारी कैलाश माली बताते हैं कि भारत-पाक तनाव के बाद तुर्किए से सेब आना बंद हो गया है।

बाड़मेरMay 20, 2025 / 07:42 pm

Ratan Singh Dave

sagar

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बाड़मेर. थार के अनार के व्यापारी अब तुर्किए को अनार नहीं बेचेंगे। बाड़मेर और जालौर, दोनों ही जिलों से तुर्किए को अनार भेजा जा रहा था, जिसकी खपत सीजन में लगभग 75 टन मानी जा रही थी। बाड़मेर से भेजा जाने वाला जीरा भी अब तुर्किए को नहीं मिलेगा। इधर, बाड़मेर आने वाले तुर्किए के सेब भी अब आना बंद हो गए हैं।
तुर्किए द्वारा पाकिस्तान को खुले समर्थन के बाद भारत ने व्यापारिक रिश्तों में सख्ती बरती है, जिसका असर अब सीमावर्ती क्षेत्रों तक दिखने लगा है। बाड़मेर, बालोतरा और जालौर जिलों में अनार की बड़ी मात्रा में पैदावार होती है। यहां से कई देशों को अनार भेजा जाता है। तुर्किए को 25-25 टन के तीन कंटेनर अनार भेजे जा रहे थे। अब यह निर्यात बंद करने का निर्णय लिया गया है। व्यापारियों ने सरकार के रुख को देखते हुए अपने स्तर पर यह फैसला किया है।
दो कंटेनर जीरा जाता है
बाड़मेर से दो कंटेनर जीरा तुर्किए भेजा जाता था। बाड़मेर का ऑर्गेनिक जीरा लगभग एक दशक से तुर्किए मंगवा रहा था। अब जीरे के व्यापारियों ने भी तुर्किए से व्यापारिक संबंध समाप्त करने का निर्णय लिया है। कृषि उपज मंडी के व्यापारी गौतम चमन बताते हैं कि बाड़मेर का जीरा ऊंझा मंडी, गुजरात को भेजा जाता है। इसके अलावा कई देशों के एजेंट खेतों से ही फसल खरीदते हैं, जिनमें तुर्किए भी शामिल था। अब इन्हें भी जीरा नहीं बेचा जाएगा।
सेब आना हो गया है बंद
तुर्किए से बाड़मेर आने वाले सेब अब बंद हो गए हैं। अहमदाबाद और जोधपुर के माध्यम से बाड़मेर में जो सेब आ रहे थे, उनमें तुर्किए की हिस्सेदारी अधिक थी। व्यापारी कैलाश माली बताते हैं कि भारत-पाक तनाव के बाद तुर्किए से सेब आना बंद हो गया है। अब अहमदाबाद और जोधपुर के फल व्यापारी अफ्रीका के सेब भेज रहे हैं।
कम मात्रा, लेकिन देश के साथ
तुर्किए को अनार और जीरा बहुत बड़ी मात्रा में नहीं भेजा जा रहा था, लेकिन बात देश के निर्णय की है। थार के किसान और व्यापारी भी अब देश के साथ खड़े हैं, इसलिए यह निर्यात बंद कर दिया गया है।
  • डॉ. प्रदीप पगारिया, कृषि विशेषज्ञ

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