ब्लैकमेल, आपराधिक साजिश व सामूहिक बलात्कार
सभी आरोपियों पर 2016 से 2018 के बीच हुई ब्लैकमेल समेत कई घटनाओं में आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और जबरन वसूली का आरोप लगाया गया है। सीबीआइ मामलों के विशेष सरकारी वकील वी. सुरेंद्र मोहन ने कहा कि प्रतिवादियों के वकील ने आरोपियों की उम्र और पारिवारिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने की मांग की थी। फैसले के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “हमने अदालत से इस गंभीर अपराध के लिए सभी आरोपियों को कड़ी सजा देने की अपील की। आइपीसी की धारा 376डी के तहत आरोपी को अधिकतम 20 साल की सजा हो सकती है।” मामले में कुल आठ पीड़ित पेश हुए और आरोपियों के खिलाफ गवाही दी। पीडि़ताओं में मामले की गंभीरता के अनुरूप कुल 85 लाख का मुआवजा वितरित किया जाएगा।पीडि़तों समेत अन्य गवाह हुए पेश
उन्होंने कहा, “सभी 48 गवाह अदालत के सामने पेश हुए और आरोपियों के खिलाफ अपनी गवाही दी।” बता दें कि 24 फरवरी 2019 को 19 वर्षीय पीड़िता द्वारा दायर की गई शिकायत के आधार पर 21 मई 2019 को कोयम्बत्तूर महिला न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया गया। हालांकि, प्रक्रियागत देरी के कारण मद्रास उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसने निर्देश दिया कि मामले को समर्पित न्यायालय कक्ष के लिए एकीकृत न्यायालय परिसर में स्थानांतरित किया जाए। अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें पूरी होने के बाद महिलाअदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया।कोर्ट परिसर में भारी भीड़, लगे नारे
फैसले की घोषणा के दौरान कोयंबटूर न्यायालय परिसर में भारी भीड़ जमा हो गई। परिसर में आरोपियों के परिवार के सदस्य मौजूद थे। इससे पहले, सुबह 8:30 बजे आरोपियों को पूरी सुरक्षा व्यवस्था के साथ सेलम सेंट्रल जेल से अदालत लाया गया। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वीमन एसोसिएशन की सदस्य अदालत परिसर में एकत्र हुए और फैसले के समर्थन में नारे लगाए। इस मामले ने पूरे तमिलनाडु को झकझोर कर रख दिया था। यह मामला फरवरी 2019 में कॉलेज की छात्राओं और अन्य महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और पीड़ितों को डराने के लिए अश्लील वीडियो प्रसारित करने से जुड़ा है।सीबीआइ को मामला ट्रांसफर
शुरुआत में पोल्लाची ईस्ट पुलिस द्वारा जांच की गई। जांच में तेजी और इसके राजनीतिक रंग लेने के बाद 12 मार्च 2019 को इसे सीबी-सीआइडी को सौंपा गया था। फिर व्यापक सार्वजनिक आक्रोश के बाद इस मामले की जांच 25 अप्रेल 2019 को सीबीआइ को स्थानांतरित कर दी गई। जांच से पता चला कि गिरोह का एक पैटर्न था, जिसमें एक पुरुष महिलाओं को एकांत स्थानों पर फुसलाकर बुलाता था, जहां उन्हें या तो मजबूर किया जाता था या उनके साथ मारपीट कर बलात्कार किया जाता था और साथ ही इस कृत्य को गुप्त रूप से रिकॉर्ड किया जाता था। पीड़िताएं चेन्नई, कोयम्बत्तूर, सेलम आदि सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों से थीं। शुरुआत में इस रैकेट में बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज की छात्राएं, शिक्षिकाएं, डॉक्टर और अन्य प्रोफेशनल महिलाएं शामिल होने का दावा हुआ था।पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप से कई वीडियो बरामद किए, जो इस रैकेट की भयावहता को दर्शाते थे।