Opinion : विकसित भारत के लिए कृषि क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान
कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है और यह कहना सर्वथा उचित है कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आज आर्थिक महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है।
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शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है और यह कहना सर्वथा उचित है कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत आज आर्थिक महाशक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है। भारतीय कृषि ने बीते एक दशक में, मोदी सरकार के दो कार्यकाल के दौरान प्रगति के नए आयामों को छुआ है और अब लगातार तीसरे टर्म में भी समग्र कृषि क्षेत्र के उत्थान के प्रति हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता इसी से परिलक्षित हो रही है कि पिछले आठ महीनों के दौरान लगभग सभी कैबिनेट बैठकों में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र की भलाई के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं। कृषि को सर्वोपरि रखने की बात का अंदाजा बहुत सहजता से इससे भी लगाया जा सकता है कि वित्त मंत्री के बजट भाषण के प्रारंभ में, विकास के प्रथम इंजन के रूप में कृषि का उल्लेख किया गया है। बीते एक दशक में आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने, गरीबी दूर करने, लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने व कृषि को अधिक लाभकारी बनाने के लिए मोदी सरकार ने प्रतिबद्धतापूर्वक कार्य किया, जिसके सकारात्मक परिणाम हमारे सामने हैं। कृषि में सिर्फ पारंपरिक खेती तक सीमित रहने के बजाय, सरकार कृषि आधारित उद्यमिता को भी बढ़ावा दे रही है। इसमें फसल विविधीकरण से लेकर पशुपालन, डेयरी, मुर्गीपालन, खाद्य प्रसंस्करण, मछली पालन, वर्मीकंपोस्ट और कृषि मशीनरी निर्माण जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इनके माध्यम से किसान अपनी आय बढ़ाते हुए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े हैं। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना से किसानों को फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान में कमी आ रही है, वहीं प्रसंस्करण क्षमता और निर्यात में वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार ने सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर किसानों को इन नए क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया है। फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पोषक अनाज (श्रीअन्न), दलहन, तिलहन सहित अन्य फसलों की एमएसपी में लगातार वृद्धि की गई है, वहीं कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई महत्त्वपूर्ण उपाय किए गए हैं। कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों व स्मार्ट उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे किसान न केवल अधिक उपज प्राप्त कर सकेंगे, बल्कि बाजार में बेहतर मूल्य पा सकेंगे। हमारा लक्ष्य भारतीय कृषि को तकनीकी रूप से समृद्ध एवं केमिकल-मुक्त बनाना है, ताकि वह जलवायु परिवर्तन से निपटने में सक्षम हो। भारत को ‘फूड बास्केट ऑफ द वल्र्ड’ हमारे किसान भाई बहन ही बनाएंगे, जिनके लिए बजट में कई महत्त्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के बजट में पहले से ज्यादा 1 लाख 71 हजार 437 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जो पिछले बजट से 19 हजार 586 करोड़ रुपए ज्यादा है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और संबद्ध कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के बजट में भी वृद्धि करते हुए 1 लाख 37 हजार 757 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, ताकि कृषि एवं किसान कल्याण तथा शोध और शिक्षा के कार्य सुचारू रूप से क्रियान्वित हो सके। बजट में विकास की ललक, विश्वास की महक और विकसित भारत के निर्माण की तड़प है, जिसका केंद्र भारतीय कृषि ही है। बजट में कृषि के विकास और उत्पादकता को गति प्रदान करने पर जोर देते हुए किसानों के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना प्रारंभ करने की घोषणा की गई है। किसानों की आय बढ़ाना और उत्पादन में वृद्धि करना केंद्र सरकार की प्राथमिकता है। अभी कई ऐसे जिले हैं, जिनमें कृषि उत्पादकता कम है। इस गैप को दूर करने के लिए ही प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना है। इसके अंतर्गत कम उत्पादकता वाले 100 जिलों की पहचान कर फसल विविधीकरण और वर्षा जल संचयन व वाटरशेड जैसी जल संरक्षण तकनीकों के माध्यम से उत्पादन बढ़ाने के उपाय किए जाएंगे, जिसका सीधा लाभ हमारे किसान भाई बहनों को होगा। इसके माध्यम से 1 करोड़ 70 लाख किसान लाभांवित होंगे और उनकी आय बढ़ेगी। बिहार में मखाना किसानों की समस्याओं को मोदी सरकार ने समझा है, मखाने की खेती बहुत कठिन कार्य है, किसान किस प्रकार पानी में रहकर मखाने की खेती करते हैं, यह किसान ही जानता है। मखाने की खेती करने वाले किसानों के लिए एक समर्पित बोर्ड स्थापित किया जाएगा, जिसके लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 100 करोड़ का प्रारंभिक बजट आवंटित किया गया है। यह बोर्ड उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन को बढ़ावा देगा, साथ ही किसानों को किसान उत्पादक संगठन के माध्यम से समर्थन प्रदान करेगा। केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित सब्जियों और फलों के लिए व्यापक कार्यक्रम का उद्देश्य उत्पादन, प्रसंस्करण और आपूर्ति दक्षता को बढ़ाना है, साथ ही किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करना है। यह कार्यक्रम कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने और बाजार पहुंच में सुधार पर केंद्रित है। इस योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में 500 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इसके अतिरिक्त, किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी समितियों को स्थापित किया जाएगा, जिससे छोटे किसानों को बेहतर बाजार संपर्क और सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति प्राप्त होगी। यह पहल बागवानी क्षेत्र को सुदृढ़ करेगी, किसानों की आय में वृद्धि करेगी और पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देगी। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) हमारे किसानों के लिए वरदान है, जिसके माध्यम से 7.7 करोड़ किसानों, मछुआरों, पशुपालकों को अल्पावधि ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है। अब यह ऋण सीमा 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए बजट में कर दी गई है, जिससे किसानों को आर्थिक बल मिलेगा, वे निवेश के लिए अधिक सक्षम होंगे और कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकेंगे। यह किसानों को क्रेडिट तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा, जिससे वे बागवानी, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसी समेकित कृषि गतिविधियों में निवेश कर सकेंगे। यह वित्तीय सहायता फसल विविधीकरण को बढ़ावा देती है, जिससे किसान उच्च-मूल्य और जलवायु-लचीली फसलें उगा सकते हैं और एक ही प्रकार की फसल पर निर्भरता कम कर सकते हैं। समय पर और सस्ती ऋण उपलब्धता से किसान उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं, असंगठित कर्जदाताओं पर निर्भरता घटा सकते हैं और आधुनिक कृषि तकनीकों में निवेश कर सकते हैं। अंतत:, इन लाभों से किसानों की कुल आय में वृद्धि होगी, उनकी वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होगी और सतत कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा। मैं स्वयं किसान हूं, भली-भांति समझता हूं कि अच्छे उत्पादन के लिए अच्छे बीज जरूरी होते हैं। बीज अच्छी क्वालिटी के होंगे, मिट्टी-मौसम की प्रकृति के अनुकूल होंगे तो निश्चय ही उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। इसी सोच के साथ ‘राष्ट्रीय उच्च पैदावार बीज मिशन’ का ऐलान किया गया है, जिससे उच्च उत्पादन वाले जलवायु अनुकूल, जैव-संवर्धित बीज विकसित किए जाएंगे और कुछ माह पूर्व रिलीज बीजों की 109 किस्मों को वाणिज्यिक स्तर पर उपलब्ध कराएंगे। कपास एक महत्त्वपूर्ण कृषि फसल है, जो हमारे लाखों किसानों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है। कपास उत्पादन को प्रोत्साहन व मार्केटिंग में मजबूती के लिए केंद्र सरकार ने पंचवर्षीय ‘कपास उत्पादकता मिशन’ की घोषणा की है। इसके अंतर्गत बेहतर गुणवत्ता वाले बीज और अत्याधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा। भारत के परंपरागत वस्त्र क्षेत्र में नई जान फूंकने के लिए गुणवत्तापूर्ण कपास की निरंतर आपूर्ति इस मिशन के माध्यम से सुनिश्चित होगी। देश ने दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में भी तेजी से कदम बढ़ाए हैं। दालों का वार्षिक उत्पादन, जो 2015-16 में 16.32 मिलियन टन था, वह 2023-24 में बढ़कर 24.24 मिलियन टन हो गया है। ‘दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन’ बजट में लाया गया है। इसके तहत तुअर, उड़द व मसूर जैसी दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उन्नत बीज, अनुसंधान व आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा। सरकार खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तिलहन मिशन भी कार्यान्वित कर रही है। किसानों के पास हमारी जरूरतों के लिए और इससे कहीं अधिक उपज उपजाने का सामथ्र्य है। 10 वर्षों में मोदी सरकार ने ठोस प्रयास किए, जिससे दलहन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े हैं। यह बजट कृषि आधुनिकीकरण, ऋण पहुंच, ग्रामीण अवसंरचना और स्थिरता पर जोर देता है। इसमें किसानों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, ग्रामीण विकास योजनाओं और कृषि-प्रौद्योगिकी में निवेश जैसी पहल की गई हैं। हाल ही में पेश हुए आर्थिक सर्वे में भी जिक्र है कि भारतीय कृषि ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां पिछले वर्षों में अर्जित की है। केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों का ही सद्परिणाम है कि आज किसान समृद्ध हो रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है। आर्थिक सर्वे के अनुसार, कृषि और संबद्ध गतिविधियां भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय आय व रोजगार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। गत वर्षों में, कृषि क्षेत्र ने सालाना औसतन 5 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज की है। साथ ही, वित्तीय वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र ने 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की, जो इस क्षेत्र की स्थिरता को प्रमाणित करता है। हमारे किसान भाइयों-बहनों के अथक परिश्रम, कृषि वैज्ञानिकों की कुशलता तथा मोदी सरकार की कृषि व किसान हितैषी नीतियों का सुफल है कि आज देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन और खाद्यान्न निर्यात का नया अध्याय लिखा जा रहा है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ऐसे में कृषि विकास पर सर्वाधिक जोर देते हुए सरकार कृषि क्षेत्र में नवाचार, तकनीकी का प्रयोग करके व नीतियां सरल बनाकर एक ओर किसानों के जीवन को समृद्ध बना रही हैं, वहीं दूसरी तरफ देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ये समग्र प्रयत्न हमारे किसान भाइयों-बहनों की आय बढ़ाएंगे। साथ ही, विकसित भारत के निर्माण का लक्ष्य विकसित खेती के माध्यम से पूरा करेंगे।
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