गुजरात की झांकी के अगले हिस्से में यूनेस्को की प्रस्तावित हेरिटेज साइट में शामिल सोलंकी काल में निर्मित वडनगर स्थित 12वीं सदी का गुजरात का सांस्कृतिक प्रवेशद्वार कहा जाने वाला कीर्ति तोरण है। इसके चारों ओर मिट्टी और शीशे से निर्मित कच्छी कलाकृतियों के साथ जनजातीय देव ‘बाबा पिथोरा’ की स्मृति में रेखांकित ‘पिथोरा चित्रों’ की शृंखला को प्रदर्शित किया गया है।
झांकी के अंतिम हिस्से में 21वीं सदी की शान और देश भर के किसानों से एकत्रित किए गए लोहे से निर्मित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा-182 मीटर की सरदार पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को दर्शाया गया है। इसे भारत के पहले उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर स्मरणांजलि के रूप में रखा गया है।
इन दोनों विरासतों के बीच गुजरात में विभिन्न क्षेत्रों में हुए विकास की प्रतिकृतियां हैं। इसमें रक्षा, तकनीक, ऑटोमोबाइल और मेन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के तहत गुजरात की विभिन्न प्रोजेक्ट शामिल हैं। अटल ब्रिज की भी कलाकृति
इस झांकी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के प्रतीक के रूप में साबरमती रिवरफ्रंट पर स्थित अटल ब्रिज भी शामिल है। साथ ही द्वारका और शिवराजपुर बीच में निर्मित हो रहे अंडर वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियों के साथ मिट्टी और शीशे से बनी कच्छी कलाकृतियां भी हैं।
वायुसेना का सी-295 एयरक्राफ्ट मॉडल भी झांकी के पिछले हिस्से में रक्षा-तकनीक क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के प्रोजेक्ट में से एक वडोदरा में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड में तैयार होने वाले भारतीय वायुसेना के सी-295 एयरक्राफ्ट की यूनिट है।
गुजरात में भारी निवेश के साथ सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षेत्र की सफलता को दिखाते सेमीकंडक्टर चिप और उससे जुड़े विभिन्न उपकरण और ऑटोमोबाइल-मेन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित हो रहे गुजरात के ऑटो और मशीन उद्योग को दर्शाया गया है।
गुजरात सरकार के सूचना विभाग की ओर से प्रस्तुत इस झांकी के निर्माण में सूचना एवं प्रसारण सचिव अवंतिका सिंह औलख, सूचना निदेशक किशोर बचाणी और अतिरिक्त निदेशक अरविंद पटेल के मार्गदर्शन में संयुक्त सूचना निदेशक डॉ. संजय कचोट और उप सूचना निदेशक जिगर खूंट योगदान दिया है।