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Kawardha News: गुड़ फैक्ट्रियों में ड्रग्स विभाग ने मारा छापा, स्टोन पाउडर मिलाने की आशंका, देखें VIDEO चिमनियों की ऊंचाई 10 से 15 फीट के करीब है, जिसके चलते आसपास काला धुएं का
जहर फैलते रहता है। आमजन घुटनभरी जिंदगी जीने मजबूर हैं। अधिकांश गुड उद्योग मुय सड़क किनारे ग्रामीण आबादी के पास है, जिसके चलते काला धुंध होने के चलते दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। जबकि इन चिमनियों में फिल्टर लगाए जाना चाहिए ताकि इससे प्रदूषण की मात्रा कम हो सके। हालांकि यह किसी न किसी रूप से पर्यावरण को तो क्षति पहुंचा ही रहे हैं।
शासन और प्रशासन आंख बंद किए है। प्रशासन को यह दिखाई ही नहीं देता कि धुएं से किस तरह का नुकसान हो रहा है। दूसरी ओर गुड़ उद्योग संचालकों को यही जवाब होता है कि वह तो गन्ने बचे अवशेष को जलाते हैं जिससे वायु प्रदूषण नहीं होता। जबकि काला धुआं मतलब कार्बन डाई आक्साइड के रुप से यह वायु प्रदूषण करता है और लोगों को बीमार भी। इस पर जिला प्रशासन को जांच करानी चाहिए।
दूसरी ओर गुड़ फैक्ट्री में काम करने वालों का रिकार्ड भी नहीं रखा जाता। अधिकांश मजदूर महिलाएं, बच्चे सहित अधिकांश अनपड़, गरीब मजदूर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश राज्य से आते हैं लेकिन पुलिस के पास इनका कोई रिकार्ड नहीं रहता जबकि हर साल इन गुड उद्योगों में महिला अपराध गुम इन्सान के साथ ही अपराध और ठगी के गंभीर मामले होते रहते हैं।
बावजूद पुलिस थानों में रिकार्ड न रखना समझ से परे है। कवर्धा से पोंडी होते हुए पंडरिया तक सड़क किनारे इसी तरह गुड़ फैक्ट्री से काला धुआं निकलता है, जिससे आमजनों को परेशानी होती है।
गुड़ उद्योगों में सुरक्षा के इंतजाम नहीं
अधिकांश गुड़ उद्योगों में सुरक्षा के इंतजाम ही नहीं होते। वही मजदूरों का स्वस्थ्य बीमा, उचित रहवास के साथ-साथ काम के घंटे भी तय नहीं है। नाबालिगबच्चों, महिलाओं को भी ठंडी रात में हो या गर्मी का मौसम तिरपाल के बने झुग्गियों में रहकर काम कराया जाता है। साथ ही मजदूरों को न कोई अनुबंध पत्र नहीं है जिसके चलते कम मजदूरी में मजबूरी में काम कर रहे हैं। कुछ बाहरी ठेकेदार के माध्यम से काम पर रखे जाते हैं ये ठेकेदार इनका शोषण करते हैं। वहीं दुर्घटना होने पर मामूली ईलाज करा या चुप करा कुछ पैसे दे उन्हें उनके राज्य रवाना कर दिया जाता है।