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इंटरनेट : सूचनाओं का जाल या अपराधों की शृंखला

मानवीय जिज्ञासाओं और अनगिनत प्रश्नों का समाधान करने के कारण आज इंटरनेट जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है और नए-नए गेम्स और ऐप्स के कारण प्रत्येक आयु वर्ग में लोकप्रिय है।

जयपुरFeb 06, 2025 / 05:52 pm

Neeru Yadav

नीता टहलयानी
इंटरनेट अर्थात् आधुनिक युग की ऐसी तकनीक, जिसमें कुछ समय के लिए भी आई रुकावट से वैश्विक और दैनिक गतिविधियों पर असर हमारी उम्मीदों से भी परे है। पूरे विश्व से हमें जोड़ने और दुनिया के कोने कोने की जानकारी हम तक पहुंचाने वाला इंटरनेट, जिसे हिन्दी में ‘अंतरजाल’ भी कहते हैं हमें शिक्षा, खेल, विज्ञान, तकनीकी, मनोरंजन से जुड़ी नवीनतम सामग्री प्रदान करता है। मानवीय जिज्ञासाओं और अनगिनत प्रश्नों का समाधान करने के कारण आज इंटरनेट जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है और नए-नए गेम्स और ऐप्स के कारण प्रत्येक आयु वर्ग में लोकप्रिय है।
बढ़ते साइबर अपराध
तीव्र गति से बढ़ रहे इस नेटवर्क ने जहां एक ओर नए ऐप्स के जरिए लोगों के दैनिक जीवन की समस्याओं का समाधान कर उसे आसान किया है वहीं दूसरी ओर इसी नेटवर्क की सहायता से किसी भी कंप्यूटर का डेटा, गोपनीय जानकारी को चुराकर आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है, क्योंकि यह काम ऑनलाइन किया जाता है। यह साइबर अपराध की श्रेणी में आता है। सतर्कता और जानकारी के अभाव में लोग साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं। इंटरनेट पर बढ़ती निर्भरता और सोशल मीडिया का उपयोग करने वाली अधिकांश जनसंख्या जागरूकता के अभाव में साइबर अपराधों के खतरों से अनजान अपनी व्यक्तिगत जानकारी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर साझा करती हैं, जिनका हैकर्स के जरिए दुरुपयोग किया जाता है।
सामाजिक दुष्प्रभाव
केवल बड़े ही इस डिजिटल तकनीक के भयावह रूप के शिकार नहीं है, अपितु बच्चे भी ऑनलाइन गेम्स के आदतन हो अपना समय,बचपन और अमूल्य जीवन नष्ट कर रहे हैं। इंटरनेट पर मिलने वाली नवीनतम जानकारी के साथ ‘कुछ भी परोसे जाने वाली सामग्री’ से बच्चे भी अछूते नहीं है। बच्चों को गुमराह होने से बचाने के लिए ऐसी आपत्तिजनक वेबसाइट्स को प्रतिबंधित करना आवश्यक है। तथाकथित स्मार्ट फोन पर सोशल नेटवर्किंग साइट्स से प्रतिदिन प्रसारित होने वाली अनुचित सामग्री से विकृत मानसिकता वाली सोच के कारण महिलाओं के प्रति अपराध और हिंसा में भी वृद्धि हुई है। सूचनाओं और जानकारी का माध्यम इंटरनेट आज अपराधों का भी माध्यम बन गया है। मोबाइल और इंटरनेट के बढ़ते उपयोग और दुरुपयोग ने समाज में भय और असुरक्षा का वातावरण बना दिया है।
कठोर नियम और जागरूकता आवश्यक
भारत सरकार की ओर से साइबर अपराध को रोकने के लिए ‘सूचना प्रौद्यौगिकी अधिनियम 2000’ तथा लोगों को साइबर ठगी से सुरक्षा देने के लिए सूचना, सुरक्षा, शिक्षा और जागरूकता परियोजना भी प्रारंभ की गई है, साथ ही सुरक्षित डिजिटल भुगतान वयवस्था प्रदान करने और साइबर धोखाधड़ी के कारण होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन नं. 155260 प्रारंभ की गई है। सोशल मीडिया विचार अभिव्यक्ति का एक स्वतंत्र माध्यम है, लेकिन जहां ऐसी वैचारिक स्वतंत्रता से समाज पर दुष्प्रभाव पड़े, सामाजिक या नैतिक हिंसा हो, अपराधों में बढ़ोतरी हो, बच्चे और युवा पीढ़ी गुमराह हो ऐसी आपत्तिजनक सामग्रियों पर प्रतिबंध लगना आवश्यक है और यह नियंत्रण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन नही है, अपितु इंटरनेट के उस भयावह स्वरूप से समाज को सुरक्षित रखना है। आज प्रत्येक व्यक्ति सोशल मीडिया के माध्यम से अपने विचार लाखों लोगों तक पहुंचा सकता है, लेकिन उचित कानूनी नियंत्रण के जरिए अनुचित वेबसाइट्स से समाज को दूषित होने से बचाया जा सकता है साथ ही सोशल मीडिया के सतर्कता और जागरुकता से साइबर अपराध के गम्भीर खतरों से स्वयं को तथा भावी पीढ़ी को बचाया जा सकता है।

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