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यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज की राह में कई अड़चनें

डॉ. पंकज जैन, एसोसिएट प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज, कोटा

जयपुरDec 26, 2024 / 10:50 pm

Sanjeev Mathur

जैसा कि हमेशा से कहा जाता रहा है कि ‘हैल्थ इज वैल्थ’, वाकई में सही भी है क्योंकि अगर आपका स्वास्थ्य ही अच्छा नहीं है तो भौतिक संपत्ति के भी कोई मायने नहीं है। यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज का मतलब है कि सभी लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं बिना किसी वित्तीय कठिनाई के जब और जहां उन्हें इसकी आवश्यकता हो, उपलब्ध हो सके। हालांकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इससे संबंधित आंकड़े बड़े भयावह हैं। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार लगभग 4.5 बिलियन लोग आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं से पूरी तरह कवर नहीं हैं। वर्ष 2021 के इन आंकड़ों में लगभग 2 बिलियन लोग स्वास्थ्य सुविधा के लिए वित्तीय कठिनाई का सामना कर रहे हैं एवं 344 मिलियन लोग स्वास्थ्य खर्चों के चलते अत्यधिक गरीबी की ओर जा रहे हैं। यह स्थिति किसी भी देश के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए ठीक नहीं है।
हमारे देश में यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज की राह में कई अड़चनें हैं, जिनमें अपर्याप्त बुनियादी ढांचा, स्वस्थ जीवन शैली और निवारक स्वास्थ्य उपायों के बारे में जागरूकता की कमी, सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय पर बहुत कम निवेश, पंचवर्षीय योजनाओं में स्वास्थ्य को कम आवंटन आदि शामिल हैं। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार 2021 में स्वास्थ्य सेवा पर वैश्विक व्यय 9.8 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 10.3 प्रतिशत है। विशेष रूप से शहरी देशों में तेज रफ्तार वाली जीवन शैली के चलते उत्पन्न हुई अवांछित स्वास्थ्य समस्याओं में वृद्धि और स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती लागत से वित्तीय बोझ में बढ़ोतरी हुई है। यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज व्यक्तियों एवं परिवारों को बड़े स्वास्थ्य सेवा खर्चों से बचाता है एवं अनावश्यक वित्तीय बोझ को कम करता है।
सबको स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के मकसद से आयुष्मान भारत योजना वर्तमान में कार्यरत है जो यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज की जरूरतों को समग्र रूप से पूर्ण करती है। अन्य योजनाओं में नेशनल रूरल व अर्बन हैल्थ मिशन, आयुष्मान भारत डिजिटल हैल्थ मिशन, नेशनल आयुष मिशन व जनऔषधि परियोजना भी प्रमुख रूप से शामिल हैं। इन सबके बावजूद शत प्रतिशत यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज अभी भी दूर की कौड़ी है, जिसके लिए विभिन्न स्तरों पर समन्वित प्रयासों की दरकार है। जन स्वास्थ्य पर व्यय को जीडीपी के अनुपात में बढ़ाना होगा। स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को सुदृढ करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों की भर्ती में वृद्धि, दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों की पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित करना होगा। प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को मजबूत कर स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना आज की महत्ती आवश्यकता है।

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