आंगनबाडिय़ों के विकास की यह खानापूर्ति क्यों ?
जिस गति से काम हो रहा है उससे सभी 63 हजार केन्द्रों को आदर्श बनाने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
श्रीकरणपुर में संचालिए एक आंगनबाड़ी केंद्र।
कमजोर वर्ग के बच्चों के पोषण का बड़ा माध्यम समझी जाने वाले आंगनबाड़ी केन्द्र महज खानापूर्ति करते नजर आएं तो इनके संचालन की मंशा पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यह चिंता इसलिए भी होने लगती है क्योंकि राजस्थान जैसे प्रदेश में भी आंगनबाडिय़ों को लेकर सरकार की कथनी और करनी में फर्क दिखता है। महिला एवं बाल विकास विभाग को दो हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों को आदर्श आंगनबाड़ी के रूप में विकसित करना था लेकिन बजट की कमी ने न केवल इन केन्द्रों की संख्या घटा कर महज 365 कर दी है बल्कि सुविधाओं में भी कटौती के आसार बन गए हैं। हैरत की बात यह है कि जिन आंगनबाडिय़ों को आदर्श आंगनबाड़ी बनाना है उनकी मंजूरी भी महज दो माह पहले मिली है जबकि नया वित्तीय वर्ष शुरू होने को है। प्रदेश में पूर्व में संचालित तथा नए आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या 63 हजार के करीब है। इतनी बड़ी संख्या में केन्द्र होने के बावजूद सरकार ने महज दो हजार केन्द्रों पर मूलभूत सुविधाओं में सुधार करने के लिए बीस करोड़ के बजट की घोषणा की थी। इन दो हजार पर भी काम हो जाता तो संतोष किया जा सकता था। लेकिन इनकी संख्या भी कम करना सरकारी योजनाओं के दावे और हकीकत को बयान करने के लिए काफी है। छह करोड़ बीस लाख रुपए की जो रकम मंजूर हुई है वह भी ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ के समान ही है। हालांकि सरकार इन केन्द्रों के चरणबद्ध विकास की बात भी करती रही है। लेकिन जिस गति से काम हो रहा है उससे लगता है कि सभी 63 हजार केन्द्रों को आदर्श बनाते-बनाते तक तो लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
आंगनबाड़ी केन्द्रों को आदर्श आंगनबाडी बनाने का सरकार का सपना होना भी चाहिए। लेकिन हकीकत यह है कि कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बनने वाले ये केन्द्र कभी जिम्मेदारों की प्राथमिकता में ही नहीं रहते। मूलभूत सुविधाओं के अलावा पौष्टिक आहार व शिक्षण सामग्री की कमी और आंगनाबाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय मिलने में देरी जैसी समस्याएं आए दिन सामने आती रहती हैं। नाम मात्र का मानदेय पाने वाली महिला आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को यहां खेल-खेल में अनौपचारिक शिक्षा भी देती हैं। इन केन्द्रों को सुविधायुक्त बनाया जाए इसके लिए काम की निर्बाध गति जरूरी है। सिर्फ बिजली-पानी की सुविधाएं विकसित करना ही केन्द्रों को आदर्श बनाने के लिए काफी नहीं है। केवल प्रयोग के तौर पर नहीं बल्कि सभी आंगनबाडिय़ों को आदर्श बनाना सरकार का ध्येय होना चाहिए। –महेन्द्र सिंह शेखावत
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