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प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, इन रिश्तेदारों पर नहीं चल सकता घरेलू हिंसा का केस 

Allahabad High Court: घरेलू हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दूर के रिश्तेदारों के खिलाफ केस नहीं चलाया जा सकता है। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

प्रयागराजFeb 04, 2025 / 09:54 am

Sanjana Singh

Allahabad High Court

घरेलू हिंसा मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा को लेकर एक नया बयान दिया है। हाईकोर्ट के बयान के मुताबिक, उन रिश्तेदारों पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, जो घर में नहीं रह रहे हैं। कोर्ट के मुताबिक, बिना ठोस सबूत के दूर के रिश्तेदारों को घरेलू हिंसा में फंसाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। 

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कोर्ट ने मामले में पति के पारिवारिक सदस्यों पर मुकदमे की कार्यवाही रद्द कर दी, मगर पति-सास के खिलाफ केस बरकरार रखा। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने सोनभद्र की कृष्णा देवी और छह अन्य की अर्जी पर दिया। 

पति-सास और ननदों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

दरअसल, वैवाहिक विवाद के चलते पीड़ित पक्ष ने पति, सास और विवाहित ननदों के खिलाफ घरेलू हिंसा की धाराओं में मामला दर्ज कराया था। वहीं, सास और पांच अन्य रिश्तेदारों समेत याचिकाकर्ताओं ने लंबित कार्यवाही को रद्द करने की मांग की।

पीड़ित के साथ रहने वालों पर ही चलेगा मुकदमा

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद स्पष्ट किया कि घरेलू हिंसा का मुकदमा केवल उन्हीं लोगों पर चल सकता है, जो पीड़ित के साथ साझा घर में रहे हों। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि कई मामलों में पीड़ित पक्ष जानबूझकर पति या घरेलू संबंध में रहने वाले व्यक्ति के उन रिश्तेदारों को फंसाता है, जो पीड़ित के साथ न तो रहते हैं और न ही पहले रहे हैं।
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विवाहित बहनों और उनके पति के खिलाफ रद्द हुआ मामला

हाईकोर्ट ने माना कि विवाहित बहनें और उनके पति, अलग रहने के कारण घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत प्रतिवादी नहीं हो सकते। इस आधार पर उनके खिलाफ दर्ज मामला रद्द कर दिया गया। हालांकि, सास और पति के खिलाफ कार्यवाही जारी रखने का आदेश दिया गया, क्योंकि उन पर दहेज उत्पीड़न सहित घरेलू हिंसा के गंभीर आरोप थे। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मामले में तेजी लाने और 60 दिनों के भीतर सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया।

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