अधिकारी स्वीकार रहे डीएपी की कमी
सोसायटियों के अधिकारी डीएपी की कमी को स्वीकार रहे हैं। वहीं, डायमोनियम फॉस्फेट खाद की जगह पर एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम) खाद देने की बात भी कह रहे हैं। लेकिन सरकारी समितियों में एनपीके खाद भी उपलब्ध नहीं है। इस तरह की शिकायतें महासमुंद, बालोद, दुर्ग, धमतरी, कांकेर, बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा सहित अन्य जिलों से आई हैं। जानकारी के मुताबिक, महासमुंद जिले में 1 लाख 62 हजार किसान पंजीकृत हैं, जो खरीफ सीजन में 2 लाख 47 हजार हेक्टेयर में धान की फसल लगाएंगे। इसके लिए 66 हजार टन खाद का लक्ष्य है। इसमें यूरिया, पोटाश, राखड़ और डीएपी की आवश्यकता है। डीएपी के अभाव में एनपीके की आवश्यकता है। इसके एवज में 15 हजार टन खाद का भंडारण किया गया है। इसे वितरण किया जा रहा है, लेकिन 51 हजार टन खाद अभी उपलब्ध नही हो पाया है।
मंत्री भी दे चुके हैं अधिकारियों को निर्देश
बता दें कि खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने पिछले महीने में मंत्रालय में समीक्षा बैठक में आला अधिकारियों को खाद की कमी न होने की बात कहते हुए सोसाइटियों में मांग के अनुसार खाद पहुंचाने के निर्देश दिए थे। ताकि किसानों को खाद के लिए परेशान न होना पड़े।
खाद नहीं मिलने से किसानों की चिंता बढ़ी
समितियों में एनपीके खाद भी उपलब्ध नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का मानना है कि खेतों में डीएपी खाद की ज्यादा आवश्यकता पड़ती है। खाद नहीं मिली तो बहुत नुकसान हो जाएगा। वहीं, अब समिति में डीएपी व एनपीके दोनों ही खाद उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में अगर बाजार से डीएपी लेते हैं तो सरकारी रेट से 400-500 रुपए महंगी मिलेगी।