प्रदेश में दलहन की खेती का महत्व दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। (World Pulses day 2025) राज्य के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे राजनांदगांव, बस्तर, कोरबा, कर्वाधा और बेमेतरा में दलहनी फसलों की खेती की जाती है। यहां के किसान काला चना, अरहर, लेथिरस, मूंग और चना जैसी दलहनी फसलों की खेती करते हैं। दलहन की एक खासियत यह है कि इनकी जड़ों में राइज़ोबियम बैक्टीरिया होते हैं, जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर करके पौधों को उपलब्ध कराते हैं। इससे इन फसलों को कम उर्वरक की आवश्यकता होती है।
World Pulses day 2025: कोरबा जिले में दलहन को बढ़ावा
कोरबा जिले में केंद्र सरकार की विशेष योजनाओं के तहत दलहन की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन योजनाओं के अंतर्गत किसानों को मसूर जैसी फसलें उगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिले के पोड़ी उपरोड़ा और पाली विकासखंड में 367 एकड़ भूमि में प्रदर्शन खेती की जाएगी, जिसमें किसानों को मुफ्त बीज और सिंचाई जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। इन प्रयासों से किसान दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्साहित हैं और आय बढ़ाने की संभावनाएं देख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में दलहन उत्पादन पर कृषि विभाग के निरंतर प्रयासों से इसका विस्तार हो रहा है। विभिन्न जिलों में दलहन का उत्पादन कुल धान उत्पादन का लगभग 20% है, और मसूर का उत्पादन भी केवल 5% है। कृषि विभाग किसानों को मसूर जैसी फसलों की ओर मोड़ने का प्रयास कर रहा है।
दलहन की बढ़ती कीमतें और किसानों के लिए अवसर
हाल ही में दलहन की कीमतों में वृद्धि देखी गई है, जो किसानों के लिए सुनहरा अवसर हो सकता है। तूवर दाल की कीमत 145 रुपये प्रति किलोग्राम, मूंग दाल की कीमत 112 रुपए प्रति पैकेट और सनफ्राइड यलो मूंग मोगर दाल की कीमत 114 रुपये प्रति किलोग्राम है। व्यापारी संजीत गोयल ने बताया कि पिछले पांच-छह वर्षों में दाल की कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव नहीं आया है। कीमतें समर्थन मूल्य के अनुरूप स्थिर रही हैं, जिससे किसानों को भी संतुलित आय मिल रही है। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्यप्रदेश से अधिकांश दालें छत्तीसगढ़ में आती हैं, जिससे यहां के बाजारों में दालों की उपलब्धता बनी रहती है।