क्या था पूरा मामला?
शफीक अंसारी सारंगपुर नगर निकाय के पूर्व पार्षद रह चुके हैं। उन पर एक महिला ने 4 मार्च 2021 को बलात्कार का आरोप लगाया था। महिला ने दावा किया था कि 4 फरवरी 2021 को अंसारी ने उसे अपने बेटे की शादी की तैयारियों में मदद करने के बहाने बुलाया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया। शिकायत दर्ज होने के 10 दिन के भीतर, प्रशासन ने अंसारी के घर को अवैध निर्माण बताकर ध्वस्त कर दिया। अंसारी का कहना है कि उनके पास घर के सारे वैध दस्तावेज मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें घर गिराने से पहले कोई नोटिस या जवाब देने का अवसर नहीं दिया गया। युवक ने थाने में पेट्रोल डालकर आग लगाई, कुछ दिन पहले ही जमानत पर छूटा था अदालत ने क्या कहा?
राजगढ़ जिले के प्रथम अपर सत्र जस्टिस चितरेंद्र सिंह सोलंकी ने मामले की सुनवाई के बाद पाया कि महिला की गवाही में कई विसंगतियां थीं। अदालत ने यह भी कहा कि महिला के घर के पास ही पुलिस थाना था, लेकिन उसने तुरंत रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई। इतना ही नहीं, उसने घटना के 15 दिन बाद तक अपने पति या परिवार के किसी भी सदस्य को इसकी जानकारी नहीं दी। न्यायालय के आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि महिला के मेडिकल परीक्षण में कोई पुष्टि नहीं हुई और वैज्ञानिक साक्ष्य बलात्कार की घटना को साबित नहीं कर सके। इस आधार पर अदालत ने शफीक अंसारी को बरी कर दिया।
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अंसारी ने फैसले के बाद कहा कि ‘मैं तीन महीने जेल में रहा और मेरा पूरा परिवार तबाह हो गया। मेरा घर बिना किसी सुनवाई के गिरा दिया गया। अब मैं और मेरा परिवार अपने रिश्तेदारों के घर रहने को मजबूर हैं।’ उन्होंने प्रशासन पर अन्याय करने का आरोप लगाया और कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही।