राजस्थानी संस्कृति की झलक देने का था दावा
नगर निगम ने दावा किया था कि इन पौधों से राजस्थानी संस्कृति की झलक मिलेगी। लेकिन हकीकत यह रही कि खजूर के पौधे एक साल भी नहीं टिक पाए और पूरी योजना विफल हो गई। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने इस पर सत्तापक्ष को घेरते हुए जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी का आरोप लगाया है। नगर निगम के उद्यान प्रभारी अनिल पारे ने बताया कि इन पौधों को टेंडर के माध्यम से लगाया गया था, जिस पर कुल डेढ़ लाख रुपए खर्च हुए। वहीं, नगर निगम के महापौर प्रहलाद पटेल ने सफाई देते हुए कहा कि गंगासागर में बनाए जा रहे बड़े बगीचे में फिर से खजूर के पौधे लगाए जाएंगे, जिससे वहां हरियाली बेहतर होगी।
बगीचे का निर्माण भी अधूरा
खजूर के पौधों के खत्म होने के बाद, नगर निगम नेसिटी फोरलेन पर बगीचा निर्माण की योजना बनाई थी। लेकिन एक साल से यह कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। इस प्रोजेक्ट को संभाल रही एजेंसी का कहना है कि नगर निगम के पास फंड की कमी के कारण भुगतान नहीं हो पा रहा है, जिस वजह से बगीचे का काम रोक दिया गया है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
नगर निगम में विपक्ष के नेता शांतिलाल वर्मा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को पहले भी उठा चुकी है। अब हम बजट सत्र का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें कई गलत कार्यों का खुलासा करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि नगर निगम में जनता के टैक्स के पैसे बर्बाद किए जा रहे हैं।
नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल
इस पूरी घटना ने नगर निगम की योजनाओं की गुणवत्ता और जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहले खजूर के पौधों की बर्बादी, फिर बगीचे का अधूरा निर्माण—इन मामलों ने यह दिखाया कि नगर निगम की योजनाएं यथार्थ से दू और बिना उचित योजना के लागू की जा रही हैं। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है और क्या जनता के पैसों की बर्बादी पर कोई जवाबदेही तय की जाएगी।