बिना अनुमति शहर की सड़कों व गलियों में दिन भर से लेकर देर रात तक बैंड व डीजे तेज आवाज में शोर शराबा कर रहे हैं। इससे स्कूली छात्र- छात्राओं के साथ ही नागरिक भी परेशान हैं। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा लाउड स्पीकर चलाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। लेकिन शहर में कोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। गली- गली धूमकर शोर शराबा करने वाले स्पीकरों को लेकर पहले भी छात्रों से लेकर नागरिक शिकायत कर चुके हैं। इन पर पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
यह है नियम: ध्वनि अधिनियम के अनुसार अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, हॉस्टल, सरकारी दफ्तर, बैंक, कोर्ट आदि से 200 मीटर के अंदर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग करने से पहले अनुमति जरूरी है। शहर में इस निर्देश का पालन नहीं हो रहा है।
इससे अधिक नहीं हो सकता पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के तहत रहवासी क्षेत्र में 55 डेसिबल और रात में 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए। कोलाहल अधिनियम 1985 के प्रावधानों की धारा 5, 6 व 7 के तहत बिना अनुमति के लाउड स्पीकर व ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं हो सकता। इसके बाद भी दिन भर रिक्शे पर स्पीकर लगाकर शोर शराबा किया जा रहा है।
हर दिन लिखते सोशल मीडिया पर कोई एक दिन हो तो अलग बात है। हम तो साल में 200 दिन सोशल मीडिया पर इस बात को लिख रहे है कि रहवासी क्षेत्र में तेज डीजे से परेशानी हो रही है। हमारे घर के सामने ही धर्मशाला है जहां कायदे टूटते है, हर बार शिकायत करना होती व पुलिस आती व समझाकर चली जाती है। जबकि जरूरत सख्त कार्रवाई की है।
– अनिल मूंदड़ा, रहवासी, श्रीमालीवास सीधे जब्त करेंगे रात 10 बजे बाद शोर पर रोक है। इस मामले में सभी पक्ष की बैठक लेकर सभी को बताया है। नियम टूटने की शिकायत मिलने पर अभी समझा रहे है, नहीं माने तो बैंड हो या डीजे, जब्ती की कार्रवाई करेंगे।
– अनिल भाना, एसडीएम शहर