महाशिवरात्रि पर विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा की जाती। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
जयपुर के ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही सृष्टि की रचना हुई थी, साथ ही इसी दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि 2025 इस साल बुधवार 26 फरवरी को पड़ रही है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और मंदिरों में शिवजी का जलाभिषेक करते हैं (Maha Shivaratri 2025 Yog)।
60 साल बाद महाशिवरात्रि और ग्रहों का दुर्लभ संयोग
वहीं शिवपुराण के मुताबिक ब्रह्मा और विष्णु का विवाद शांत कराने के लिए इसी दिन शिवजी शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। इसी वजह से इस तिथि पर महाशिवरात्रि मनाई जाती है। लेकिन साल 2025 में महाशिवरात्रि बेहद खास है। 60 साल बाद इस साल महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है।ये नक्षत्र भी बना रहे तिथि को खास
ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि पर ग्रहों के दुर्लभ संयोग के साथ धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति भी है। इस कारण यह तिथि और भी खास हो गई है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी। शुभ संयोग और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना करने से उनके भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी।149 साल बाद बना महाशिवरात्रि पर यह दुर्लभ संयोग
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि 2025 बेहद खास है। बुधवार को पड़ रही महाशिवरात्रि पर ग्रहों के दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महाशिवरात्रि पर शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में रहेगा, इसके साथ राहु भी रहेगा, ये एक शुभ योग है।इसके अलावा सूर्य-शनि कुंभ राशि में रहेंगे। सूर्य शनि के पिता हैं और कुंभ शनि की राशि है। ऐसे में सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में रहेंगे। वहीं शुक्र मीन राशि में अपने शिष्य राहु के साथ रहेंगे।
कुंभ राशि में पिता-पुत्र और मीन राशि में गुरु-शिष्य के संयोग में शिव पूजा की जाएगी। ऐसा योग 149 साल बाद बन रहा है। 2025 से पहले 1873 में ऐसा संयोग बना था, उस दिन भी बुधवार को शिवरात्रि मनाई गई थी।
कब है महाशिवरात्रि 2025 (Kab Hai Maha Shivratri 2025)
ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11:08 बजे से होगी। इस तिथि का समापन अगले दिन 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे होगा। महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर निशा काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अत: 26 फरवरी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।महाशिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा का समय (Char Prahar Puja Ka Samay)
ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व पर चार प्रहर की साधना का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों में प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव की उपासना के अलग-अलग प्रकार का वर्णन मिलता है।मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर यथा श्रद्धा, यथा प्रहर, यथा स्थिति और यथा उपचार के अनुसार साधना करनी चाहिए। चार प्रहर की साधना से धन, यश, प्रतिष्ठा और समृद्धि प्राप्त होती है। जिनके जीवन में संतान संबंधी बाधा हो रही हो, उन्हें भी यह साधना अवश्य करनी चाहिए।
चारों प्रहर की पूजा का समय
प्रथम प्रहर पूजा का समय: शाम 06:19 बजे से रात 09:26 बजे तक
द्वितीय प्रहर पूजा का समय: रात 09:26 बजे से मध्यरात्रि 12:34 बजे तक
तृतीय प्रहर पूजा का समय: मध्यरात्रि 12:34 बजे से 27 फरवरी , प्रातः03:41 बजे तक
चतुर्थ प्रहर पूजा का समय: 27 फरवरी , प्रातः03:41 बजे से प्रातः 06:48 बजे तक