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बिहारी मंदिर में हुई ब्रज की होली, महिलाओं-युवतियों ने भगवान के संग खेली होली

बड़ा बाजार के श्रीदेव राघव मंदिर, भूतेश्वर, सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर सहित शहर के तमाम मंदिरों में आयोजन हुए। मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया। आयोजन में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं ने अपने परिवार के साथ पहुंचे।

सागरMar 16, 2025 / 05:08 pm

Rizwan ansari

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बड़ा बाजार स्थित बिहारी मंदिर में धुलेंडी पर वृंदावन की तरह ब्रज की होली हुई। महिलाएं-युवतियां भगवान के साथ होली के रंग और भक्ति में लीन रहीं। अबीर-गुलाल मंदिर परिसर में उड़ता रहा। फूलों के रंग से भक्त रंगीन रहे। भक्ति में लीन श्रद्धालुओं ने देर रात तक होली खेली। रात करीब 8 बजे श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हुआ जो तो रात 10 बजे के बाद मंदिर में खड़े रहने की भी जगह नहीं रही। इसके अलावा बड़ा बाजार के श्रीदेव राघव मंदिर, भूतेश्वर, सिद्धेश्वर हनुमान मंदिर सहित शहर के तमाम मंदिरों में आयोजन हुए। मंदिरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया। आयोजन में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं ने अपने परिवार के साथ पहुंचे।

पूरे दिन सड़क पर रंग-गुलाल उड़ाती रहीं टोलियां

होलिका दहन के साथ ही शहर में रंग-गुलाल उड़ना शुरू हो गया। वहीं होली की मस्ती में डूबी युवाओं की टोलियां गाजे-बाजे और भोंपू से शोर मचाते हुए शहर में निकली, तो कुछ स्थानों से फाग मंडलियां होली के गीत गाते हुए गुजरीं। कई संस्थानों पर अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के निवास पर होली मिलन समारोह आयोजित हुए। शहर की हर गली में छोटे बच्चों से लेकर हर वर्ग के लोग होली के रंग में रंगीन दिखे।

धुलेंडी व जुमा एक साथ, पुलिस रही अलर्ट पर

शुक्रवार को धुलेंडी व जुमा की नमाज होने के कारण प्रशासन व पुलिस भी सतर्क रही। कटरा बाजार, कोतवाली, मकरोनिया, कैंट, सिविल लाइन पुलिस शहर के चौक चौराहों पर तैनात रही। मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल व सार्वजनिक स्थानों पर भी अतिरिक्त पुलिस बल लगाया गया। कटरा जामा मस्जिद के चारों तरफ बैरिकेड्स लगाए गए। तेज रफ्तार चल रहे वाहन चालकों को रोका गया, अल्कोहल के ब्रेथ एनालाइजर जांच भी की गई।

महाकवि पद्माकर को गुलाल लगाकर मनाई होली

बुंदेलखंड हिंदी साहित्य संस्कृति विकास मंच ने चकराघाट परिसर में होली उत्सव व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। शहर के साहित्यकारों ने एकत्रित होकर महाकवि पद्माकर की प्रतिमा को अबीर-गुलाल लगाकर रंगों के पर्व होली की शुरुआत की। तत्पश्चात काव्य गोष्ठी का रंगारंग आयोजन किया गया। अमित मणिकांत चौबे ने बताया कि यह आयोजन का 57 वां वर्ष है इसके पूर्व 55 वर्षों तक यह आयोजन उनके पिता स्व. मणिकांत चौबे करते रहे हैं।

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