शिकारियों ने पूछताछ में तीन तेंदुए और तीन बाघों का शिकार करना स्वीकार किया है। इसकी पुष्टि फॉरेंसिंक रिपोर्ट से भी हो चुकी है। ये बाघ रणथम्भौर के हैं या नहीं इसकी पुष्टि के लिए बाघों के अवशेषों को जांच के लिए नेशनल इंस्टिटयूट और बॉयोलोजिकल साइसेंज बेंगलूरु भेजा गया है।
ये हुए हैं गिरफ्तार
वन विभाग की संयुक्त टीम की कार्रवाई में आरोपी दौजी भील पुत्र शंकर भील निवासी दौसा, सुनीता भील पत्नी दौजी भील निवासी दौसा और आरोपी राजाराम मोगया निवासी टोंक हैं। इसके अलावा टीम ने बेस्ता भील निवासी करहाल, बनीराम मोग्या निवासी शिवपुरी, नरेश उर्फ कल्लू निवासी कोलारस शिवपुरी को भी गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी वर्तमान में केन्द्रीय जेल शिवपुरी में बंद हैं।
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ये बाघ-बाघिन हैं लापता
रणथम्भौर से अब तक कई बाघ-बाघिन इलाके की तलाश में रणथम्भौर से निकलकर एमपी के जंगलों में पहुंच चुके हैं। इनमें बाघ टी-38, टी-72, टी 132, टी-136 आदि कई बाघ-बाघिन हैं। वहीं, वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जून 2022 से मई 2024 के बीच करीब पांच बाघ-बाघिन लापता हैं। इनमें बाघिन टी-79, टी-131, टी-138,टी-139 व टी-2401 आदि शामिल हैं।
रणथम्भौर से एमपी के कूनो और माधव नेशनल पार्क तक प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर है। रणथम्भौर से निकलकर कई बाघ-बाघिन एमपी के जंगलों की ओर आ जाते हैं। ऐसे में शिकार किए गए बाघ-बाघिन का संबंध रणथम्भौर से हो सकता है।
रणथम्भौर से बाघ-बाघिन कूनो, माधव नेशनल पार्क की ओर जाते हैं
शिकारियों के गिरोह में से दो दौसा और एक टोंक का है। वहीं, रणथम्भौर कूनो और माधव नेशनल पार्क के बीच में एक प्राकृतिक टाइगर कॉरिडोर है, जिससे होकर रणथम्भौर के बाघ-बाघिन कूनो, माधव नेशनल पार्क की ओर जाते हैं। इसी टाइगर कॉरिडोर पर शिकारियों के गिरोह ने बाघों का शिकार किया है। ऐसे में ये रणथम्भौर से एमपी की ओर निकलने वाले बाघ-बाघिन भी हो सकते हैं।
-अजय दुबे, वन्यजीव विशेषज्ञ
एमपी की टीम ने शिकारियों को पकड़ा है। हमारी टीम सहयोग के लिए रणथम्भौर से भेजी गई थी। एमपी की टीम ने ही शिकारियों की सूचना पर जानवरों की हड्डियां व कुछ अवशेष जब्त किए हैं। इन्हें जांच करवाने के लिए भेजा है। जहां से शिकारी पकड़े हैं। वहां एमपी और राजस्थान दोनों जगह के बाघ-बाघिनों का मूवमेंट रहता है। जांच के बाद ही बाघ-बाघिन के शिकार होने की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
-अनूप के आर, सीसीएफ, रणथम्भौर बाघ परियोजना