मंडी में भाव 3 से 8 रुपए प्रति किलो
अक्टूबर महीने में टमाटर का भाव 70 से 80 रुपए प्रति किलो था। महंगाई के चलते मध्यम वर्ग ने तो इसे सब्जी में डालना ही बंद कर दिया था, अब खरीदार नहीं मिल रहे हैं। जिले में रकबा करीब 40 हजार है, जिसमें से दो हजार हेक्टेयर में टमाटर की पैदावार होती है। एक हेक्टेयर में टमाटर की पैदावार करने पर किसानों को करीब 20 हजार का खर्च आता है। एक हेक्टेयर में 200 से 300 क्विंटल तक की पैदावार हो जाती है। किसानों के हिसाब से टमाटर पैदावार में करीब प्रति किलो 5 से 8 रुपए का खर्चा आता है, लेकिन इस समय मंडी में भाव 3 से 8 रुपए प्रति किलो मिल रहा है, जिससे लागत भी नहीं निकल रही है। किसान एमएस मेवाड़ा ने बताया कि टमाटर पैदा करने वाले किसान काफी नुकसान में हैं।
भोपाल मंडी में थोक में 5 किलो टमाटर
टमाटर के भाव जमीन पर आ गए हैं। भोपाल थोक मंडी में भाव 5 से 6 रुपए प्रति किलो के हिसाब से हैं। भावों में एकाएक आई गिरावट से उत्पादकों को भले ही लागत के हिसाब से नुकसान हो रहा हो लेकिन उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। टमाटर के अलावा हरी सब्जियों के भाव भी काफी नीचे उतर आए हैं। गिलकी, मुनगा फली, भिंडी, करेला, हरी मिर्च को छोडक़र बाकी सब्जियां थोक मंडी में 5 से लेकर 20 रुपए किलो के भीतर आ गई है।
मंडी में बंपर आवक से गिरे भाव
सीहोर कृषि उपज मंडी के सचिव नरेन्द्र कुमार महेश्वरी ने बताया कि नवंबर के बाद टमाटर की नई फसल आ जाती है। अभी सर्दी के शुरुआत में जो फसल लगाई थी, उसका अंतिम समय चल रहा है, किसानों को खेत खाली करने हैं। मंडी में टमाटर की बंपर आवक हो रही है। लोकल के साथ बाहर से भी आ रहा है, इसलिए इस समय भाव कम हो गए हैं। प्याज के साथ भी ऐसा ही है, नासिक में प्याज की बंपर पैदावार हुई है। जिसका असर सभी जगह दिखाई दे रहा है। किसान के साथ व्यापारी भी स्टॉक में रखी पुरानी प्याज को निकाल कर नई खरीद रहे हैं। ये भी पढ़ें: बिजली कंपनी का ऐलान, ‘सोलर पैनल’ के लिए नहीं लगाना पड़ेगा ‘मीटर’ प्याज भी निकाल रही आंसू
सीहोर मंडी में इस समय प्याज का थोक भाव 8 से 22 रुपए प्रति क्विंटल है। सामान्य देशी प्याज 8 से 10 रुपए किलो ही बिक रही है। एक एकड़ में ज्यादा लगाने पर किसानों को करीब 30 से 35 हजार रुपए का खर्चा आता है। इसका उत्पादन करीब 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है। किसानों की मानें तो प्याज लगाने वाले किसान भी भाव से संतुष्ट नहीं है। प्याज और टमाटर लगाने वाले किसान भाव नहीं मिलने से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
टमाटर में मंदी का कारण
करोंद स्थित थोक कारोबारियों एवं आड़तियों का कहना है कि दिसंबर तक टमाटर देश के दूसरे राज्यों से मंगाए जा रहे थे लेकिन अब लोकल यानी 50-100 किमी के दायरे से सब्जियों की खूब आवक हो रही है। टमाटर के थोक कारोबारी राजेन्द्र सैनी ने बताया, गत वर्ष इन्हीं दिनों में 600-700 रुपए कैरेट (25/30 रुपए किलो) थोक में बिक रहा था, जो इस समय 5 से 6 रुपए किलो पर आ गया है। हालांकि फुटकर में टमाटर 10 से 20 रुपए किलो बेचे जा रहे हैं।