मंडी अधिनियम के प्रावधान के अनुसार कृषि उपज मंडी में किसान से अनाज खरीदने के बाद व्यापारी को भुगतान करना होता है। जब तक किसान का भुगतान नहीं हो जाता तब तक व्यापारी मंडी से अनाज बाहर नहीं ले जा सकता है। किसानों को भुगतान तुरंत या फिर समय-सीमा में करना होता है। नियम के अनुसार अगर व्यापारी ने भुगतान में देरी की तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। मंडी समिति का यह दायित्व है कि वह किसानों के हितों की रक्षा करे और भुगतान संबंधी विवादों का त्वरित निपटारा सुनिश्चित करे। सवाल यह भी है कि बिना भुगतान के मंडी समिति ने व्यापारी को खरीदा हुआ अनाज कैसे बाहर ले जाने दिया।
गोपालगंज निवासी किसान संजय कुमार चन्द्रवंशी ने बताया कि दो माह पूर्व मंडी में लगभग 59 कुंतल मक्का बेची थी। जिसका एक लाख 33 हजार रुपए भुगतान होना है। उनके साथ ही आमगांव, कटंगी, बलारपुर सहित अन्य गांव के कई किसान हैं जिनका फसल का बकाया है। व्यापारी ने आज तक भुगतान नहीं किया। उसके संस्था पर जाओ तो ताला लगा रहता है। मंडी सचिव से बात करने पर वह हमेशा दो दिन में भुगतान होने का आश्वासन देते हैं। किसानों ने बताया कि एसडीएम से भी भुगतान न होने की शिकायत की गई थी। उन्होंने मंडी सचिव को फटकार भी लगाई थी। उस समय भी सचिव ने दो दिन में भुगतान होने की बात कही थी, लेकिन अब तक पैसे नहीं मिले।
किसानों का कहना है कि उन्होंने फसल उगाने के लिए काफी मेहनत की है। बीज दुकान से उधार लिया है। लोन पर ट्रैक्टर ले रखा है। इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड से दो लाख रुपए का लोन लिया हुआ है। फसल का भुगतान हो जाता तो इन सबसे राहत मिलती। इसके अलावा अगली फसल के लिए भी सोचते। परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है।
किसानों के भुगतान के लिए निर्देश दिया गया था। अगर नहीं हुआ है तो मै दिखवाती हूं। किसानों की समस्या हर हाल में दूर की जाएगी।
संस्कृति जैन, कलेक्टर किसानों को भुगतान दो दिन में हो जाएगा। मैं अभी बाहर हूं। बाद में बात करता हूं।
प्रकाश मार्को, सचिव, कृषि उपज मंडी समिति