स्कूल के पुराने दिनों की यादें ताजा
यह आयोजन शुजालपुर के पहले हाई स्कूल की ऐतिहासिक विरासत से जुड़ा था, जिसकी स्थापना 1931 में श्रीराम मंदिर के पीछे हुई थी। इसे लाल स्कूल के नाम से जाना जाता था। 1957 में यह वर्तमान सीएम राइज स्कूल में स्थानांतरित हुआ, और तब से हजारों छात्र यहां से पढ़ाई कर चुके हैं। इस सम्मेलन में ऐसे लोग भी शामिल हुए जो 67 साल बाद स्कूल लौटे, वहीं कुछ पूर्व छात्र 85 वर्ष की उम्र में लकड़ी के सहारे कार्यक्रम में पहुंचे। यह भी पढ़े – एमपी में मुर्दे भी खाते हैं 7 लाख 80000 रूपए के गेहूं-चावल, दिमाग हिला देगा ये मामला मंत्री ने भी किया बचपन याद
मंत्री इंदर सिंह परमार जब स्कूल पहुंचे तो उन्होंने शिक्षकों, अधिकारियों और प्रोफेसरों से मुलाकात की। स्कूल के पुराने दिनों को याद करते हुए उन्होंने खुद भी कान पकड़कर उठक बैठक लगाई, जिसे देखकर वहां मौजूद सभी लोग हैरान रह गए। इस माहौल ने बचपन की उन सख्त लेकिन शिक्षाप्रद सज़ाओं की याद दिला दी जो शिक्षक छात्रों को अनुशासन में रखने के लिए देते थे। पूर्व छात्रों ने अपनी क्लासरूम यादों को ताजा करते हुए टेबल बजाकर गाने गाए और शिक्षकों के नाम लेकर ‘अमर रहे’ के नारे लगाए। इस दौरान ग्रुप फोटो भी खिंचवाई गई, जिससे यह आयोजन एक यादगार पल बन गया।
यह भी पढ़े – एमपी के इस शहर में 1200 लोकेशन पर 200-250 गुना बढ़ सकते हैं जमीनों के दाम नई शिक्षा नीति पर मंत्री का जोर
मंत्री परमार ने नई शिक्षा नीति को लेकर कहा कि इससे बड़ा परिवर्तन आने वाला है। अब शिक्षक ‘बाय चांस’ नहीं बल्कि ‘बाय चॉइस’ बनेंगे। उन्होंने भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को गौरवशाली बताते हुए कहा कि भारत ने आयुर्वेद, गणित, इंजीनियरिंग और संस्कृति में विश्व का मार्गदर्शन किया है, इसलिए इसे विश्व गुरु कहा जाता है।