जिले में किताब-कॉपियां व स्टेशनरी हुई महंगी, अभिभावकों की जेब हो रही ढीली
शैक्षणिक सामग्री व स्कूल फीस ने बिगाड़ा अभिभावकों का बजट सीधी. नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुए 10 दिन बीत गया है। बुक स्टॉल की दुकानों में नए सत्र की शैक्षणिक सामग्री लेने अभिभावकों की भीड़ जुटने लगी है। लेकिन, किताब-कॉपियों सहित अन्य शैक्षणिक सामग्रियों के दाम सुनकर अभिभावक पसोपेश में हैं। शैक्षणिक सामग्रियों के […]


शैक्षणिक सामग्री व स्कूल फीस ने बिगाड़ा अभिभावकों का बजट
शैक्षणिक सामग्री व स्कूल फीस ने बिगाड़ा अभिभावकों का बजट सीधी. नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुए 10 दिन बीत गया है। बुक स्टॉल की दुकानों में नए सत्र की शैक्षणिक सामग्री लेने अभिभावकों की भीड़ जुटने लगी है। लेकिन, किताब-कॉपियों सहित अन्य शैक्षणिक सामग्रियों के दाम सुनकर अभिभावक पसोपेश में हैं। शैक्षणिक सामग्रियों के साथ ही स्कूल फीस में वृद्धि ने बजट बिगाड़ दिया है। प्राथमिक शिक्षा ने तो कमर तोड़ दी है। बुक स्टॉल संचालकों के अनुसार कागज का रेट तो स्थिर है, लेकिन इस बार भी किताब-कॉपियों के दाम पहले की तुलना में बढ़ गए हैं।
जेब हो रही ढीली
किसी कंपनी ने कॉपियों के दाम बढ़ाए हैं तो किसी ने दाम न बढ़ाते हुए पेजों की संख्या कम कर दिया है। एनसीईआरटी की किताबें तो उसी रेट में हैं, लेकिन निजी स्कूलों द्वारा लगाई जा रही निजी पब्लिकेशन की किताबों के दाम 30 से 35 फीसदी बढ़ गए हैं। जिससे निजी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। शहर के पुस्तक विक्रेताओं के अनुसार स्टेशनरी सामग्री व निजी पब्लिकेशन की किताबों में सर्वाधिक मूल्य वृद्धि हुई है, जो अभिभावकों का बजट बिगाड़ रहा है।
पेन-पेंसिल के बढ़े दाम
मुख्य रूप से पेन-पेंसिल व कवर के दामों में वृद्धि हुई है। 10 रुपये वाले पेन 15 रुपये में मिल रहे हैं। ब्रांडेड कंपनियों के पेन की कीमतों में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार किताब कॉपियों के कवर का रेट करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ा है। 120 रुपये वाला कवर का रेट 160 रुपये हो गया है। 50 वाले पेंसिल के पैकेट का रेट 60 रुपये है।
ड्रेस के दामों में भी बढ़ोतरी
इस साल स्कूल ड्रेस भी बढ़े हुए दामों के साथ मिल रहे हैं। स्कूल ड्रेसों के दामों में भी करीब 20 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। दुकान संचालक शिवम ङ्क्षसह के अनुसार सभी कपड़ों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। अभी तक जो स्कूल ड्रेस एक हजार रुपए तक आती थी वो अब 1200 से 1400 रुपए तक मिल रहे हैं।
अभिभावकों ने सुनाया दर्द
सीधी में किताबों में लूट मची है, कक्षा 1 की किताब 4500 रुपये में पड़ रही है। निजी स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं। अन्य जिलों में कार्रवाई हो रही है, यहां प्रशासन मौन है। -राजेश कुशवाहा, अभिभावक
किताब-कॉपियों एवं स्कूलों की फीस ने तो कमर ही तोड़ दी है। कक्षा 1 एवं 2 की किताबें 4-5 हजार रुपये में मिल रही हैं। स्कूल संचालक मनमानी फीस वसूल रहे हैं। प्रशासन मूक दर्शक बना है। -धीरज पांडेय
पुस्तक विक्रेताओं ने कहा…
कागज का रेट स्थिर होने से किताब व कॉपियों के रेट तो ज्यादा नहीं बढ़ा है, लेकिन पेन, पेंसिल व कवर आदि के रेट बढ़े हैं। कॉपियों के पेज घटा दिया गया है, मूल्य वही रखा गया है। -अनुरूप सोनी
सबसे ज्यादा मूल्य वृद्धि निजी पब्लिकेशन की पुस्तकों में हैं। उसी की मार अभिभावकों पर पड़ रही है। निजी स्कूलों के कक्षा 1 से 5वीं तक का सेट 4 से 5 हजार रुपये में पड़ रहा है। -श्यामलाल गुप्ता
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