सरकारी स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है खमियाजा
निजी स्कूलों में दाखिले के बदले पैटर्न का खमियाजा सरकारी स्कूलों को भुगतना पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों में नामांकन कैसे बढ़ेगा। क्योंकि जब तक सरकारी स्कूलों में नामांकन अभियान शुरू होता है तो तब तक ज्यादातर बच्चे दूसरे स्कूलों में दाखिला ले चुके होते हैं। समय के साथ सरकारी स्कूल भी यदि दाखिले का पैटर्न बदलते है तो नामांकन में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है।महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय पर मदन दिलावर का बड़ा बयान, जानें क्या कहा?
ऐसे समझें विद्यार्थियों का उत्साह
केस-1कक्षा दसवीं के छात्र आयुष ने बताया कि भविष्य में सपना इंजीनियर बनने का है। इसलिए 11 व 12वीं कक्षा के साथ जेईई की तैयारी कराने वाले संस्थान के हिसाब से पिछले दिनों दूसरे स्कूल में दाखिला ले लिया। इससे अप्रेल महीने से ही 11वीं की पढ़ाई का मौका मिल सकेगा। वहीं, गर्मियों की छुट्टियों का भी सही उपयोग हो सकेगा।
कक्षा आठवीं में अध्ययनरत छात्र सुरेन्द्र ने बताया कि अब तक कॉलोनी के एक निजी स्कूल में पढ़ाई की। पहले आठवीं का परिणाम आने के बाद ही दाखिला लेने का प्लान था। पता लगा कि ज्यादातर टॉप स्कूलों में जून तक तो सीट ही नहीं मिलेगी तो पिछले दिनों दाखिला ले लिया। अब पढ़ाई भी मिस नहीं होगी।
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समय पर दाखिले होने से यह फायदे
पहले ज्यादातर स्कूलों में दाखिले अप्रेल से जुलाई तक होते थे। इस कारण सिलेबस भी जनवरी-फरवरी में पूरा होता था और मार्च में सालाना परीक्षाएं हो जाती थीं। ऐसे में रिविजन के लिए कम समय मिलता था। अब बदले पैटर्न में अप्रेल तक दाखिले पूरे होने पर स्कूलों में कक्षाएं अप्रेल से शुरू हो जाती हैं। इसके चलते सिलेबस नवम्बर-दिसम्बर तक पूरा हो जाता है और विद्यार्थियों को रिविजन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।राजस्थान में आरटीई के 30 हजार बच्चों की शिक्षा पर संकट, फीस कब देगी भजनलाल सरकार?
अब अप्रेल महीने में ही शुरू होती है पढ़ाई
पहले जून-जुलाई में दाखिले और अगस्त-सितम्बर में जाकर पढ़ाई को रफ्तार मिलती। इससे विद्यार्थियों को सिलेबस के रिविजन में काफी परेशानी आती। ऐसे में हर युवा अब नई कक्षा के पहले ही दिन से पढ़ाई में जुट जाता है। ज्यादातर स्कूलों की ओर से अप्रेल महीने में ही पढ़ाई शुरू कर दी जाती है।डॉ. पीयूष सुण्डा, कॅरियर काउंसलर