स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, पुणे के सिंहगढ़ रोड के धायरी इलाके के रहने वाले 60 वर्षीय संक्रमित की शुक्रवार को मौत हुई. पीड़ित को दस्त और कमजोरी के चलते 27 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
इससे पहले गुरुवार को पुणे जिले के पिंपरी-चिंचवड नगर निगम क्षेत्र के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल अस्पताल में निमोनिया के कारण श्वसन तंत्र में प्रभाव पड़ने से 36 वर्षीय मरीज की मौत हुई। पुणे के ससून अस्पताल में भर्ती गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से पीड़ित 56 वर्षीय महिला की बुधवार को मौत हो गई। इससे पहले रविवार को सोलापुर में 40 वर्षीय सीए की जीबीएस के संक्रमण से मौत हुई।
महाराष्ट्र में शुक्रवार को जीबीएस का कोई नया मामला सामने नहीं आया। राज्य में सामने आए अधिकांश मामले पुणे और आसपास के इलाकों से हैं। पुणे के अलग-अलग हिस्सों से 160 पानी के सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजे गए। जिसमें से आठ जल स्रोतों के नमूने दूषित पाए गए।
महाराष्ट्र में जीबीएस के कहां कितने मरीज?
कुल संदिग्ध मरीज- 140 जीबीएस के पुष्ट मामले- 98 पुणे- 26 मरीज पीएमसी क्षेत्र के गांव- 78 मरीज पिंपरी चिंचवड- 15 मरीज पुणे ग्रामीण- 10 मरीज अन्य जिलों- 11 मरीज पुणे नगर निगम (पीएमसी) के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, पानी के नमूने में ई-कोली बैक्टीरिया पाया गया है। सिंहगढ़ रोड क्षेत्र के कुछ निजी बोरवेल से लिए गए सैंपल में से एक में एस्चेरिचिया कोलाई यानी ई-कोली बैक्टीरिया पाया गया है। उन्होंने कहा कि पानी में इसका होना मल या पशु अपशिष्ट संदूषण का संकेत है। बैक्टीरिया की व्यापकता जीबीएस संक्रमण का कारण बन सकती है।
बता दें कि जीबीएस एक दुर्लभ विकार है, जिसमें शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं। माना जाता है कि दूषित भोजन और पानी में पाया जाने वाला ‘बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी’ इस प्रकोप का कारण है।
इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रशासन से संक्रमितों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। इस बीमारी का मुफ्त में इलाज राज्य स्वास्थ्य बीमा योजना महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत किया जा रहा है।