जिला अस्पताल के ब्लड बैंक से हर साल खून लेने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। जिला अस्पताल के विस्तार के साथ ही यहां पर डायलेसिस, कैंसर के उपचार की सुविधा होने के बाद से लगातार खून की मांग बढ़ रही है।
यहां से हर साल 2200 से 2400 यूनिट रक्त लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में कई बार ब्लड बैंक में भी खून की कमी हो जाती है। यह परेशानी हर माह सामने आती है।
जिले में रक्तदान के लिए कई संस्थाओं के सामने आने के बाद भी बढ़ती मांग के चलते लोगों को परेशान होना पड़ता है। ब्लड की कमी जिला अस्पताल प्रबंधन के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती है। ऐसे में इस समस्या को दूर करने के लिए अब प्रबंधन ने ब्लड सेपरेशन यूनिट स्थापित कराने की पहल शुरू की है। सिविल सर्जन डॉ. अमित कुमार शुक्ला ने बताया कि इसके लिए शासन को डिमांड भेजी गई है। जिला अस्पताल का लगातार विस्तार होने के बाद अब इसकी जरूरत पडऩे लगी है।
हर साल बढ़ रही डिमांड जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में लगातार खून की मांग बढ़ती जा रही है। ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. विकास जैन का कहना है कि जिले में डायलिसिस सुविधा के साथ ही अन्य प्राइवेट नर्सिंग होम भी ब्लड बैंक के भरोसे हैं।
ऐसे में जिला अस्पताल के ब्लड बैंक पर हमेशा दबाव रहता है। उनका कहना था कि पिछले तीन सालों में हर साल 2200 यूनिट से अधिक ब्लड उपयोग किया जा रहा है। इस बार तो यह खपत 2400 यूनिट के पास पहुंच गई है। उनका कहना था कि कुछ संस्थाएं नियमित रूप से रक्तदान करने के साथ ही जरूरत पडऩे पर मौके पर आकर रक्तदान कर रही है। ब्लड सेपरेशन यूनिट लगने के बाद राहत होगी।