पत्रिका रक्षा कवच
अपराधों के विरुद्ध महिला सुरक्षा अभियान के तहत शहर की महिलाओं ने कही। इसके साथ ही महिलाओं ने कई आवश्यक जानकारियां साझा की। प्रेमलता तंवर ने कहा कि शहर के लगभग हर क्षेत्र में ऐसी सुनसान जगह है, जहां रात होते ही नशेड़ी अड्डा जमा लेते हैं। वह इन मार्गों से गुजरने वाली महिलाओं और पुरुषों के साथ झगड़ा करने से नहीं हिचकिचाते। ऐसे में इन नशेड़ियों पर लगाम लगाने की आवश्यकता है। कमला बाई ने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर रात को पुलिस गश्त का पुख्ता प्रबंध करने के साथ ही पयर्टन स्थलों और महिलाओं की अधिकता वाले बाजारों, मॉल आदि में महिला पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया जाना चाहिए।
सरोज गहलोत ने कहा कि रोजगार के लिए शहर में बाहर से आए कई लोग किराये से रहते हैं। ऐसे उदाहरण अब सामने आने लगे हैं जिनमें किरायेदार द्वारा वारदातों को अंजाम दिया गया है। किरायेदार रखने से पूर्व इनकी पूरी जानकारी लेने के साथ ही पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य होना चाहिए।
रेणु मोची ने कहा कि शहर में नौकरीपेशा और अध्ययनरत महिलाओं और छात्राओं की सूची बनाई जानी चाहिए। ऐसी महिलाओं की मदद पुलिस या संस्थाओं के माध्यम से की जा सकती है। इसके साथ ही बुजुर्ग दंपतियों की देखरेख भी समय-समय पर करने की आवश्यकता है।
गायत्री चूंडावत ने बताया कि महिलाओं को मदद मुहैया करवाने के लिए अलग से नंबर जारी किए जाएं। महिलाओं को 100 नंबर पर निर्भर रहना पड़ता है। यह नंबर अधिकतर व्यस्त रहता है, ऐसे में आपातकालीन परिस्थितियों में महिलाओं की मदद के लिए अन्य नंबर का विकल्प होना चाहिए।
लीला बाई का कहना था कि महिलाओं के लिए बने कानूनों की पूरी जानकारी महिलाओं को ही नहीं है। सरकारी स्तर पर समय-समय पर शिविर लगाकर महिलाओं को उनके अधिकार और कानूनों की जानकारी दी जानी चाहिए। अपराध होने पर शिकायत करने के माध्यमों की जानकारी भी महिलाओं को दी जाए।
सोहनी बाई ने बताया कि सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं के लिए सुविधाघर बनवाने के साथ ही च्छ रखा जाए। बच्चियों को स्कूलों से ही आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाए, जो हायर एजुकेशन में भी जारी हो।