उदयपुर के पर्यटन सीजन में गुजराती पर्यटकों की आवाजाही सबसे ज्यादा होती है, वहीं सालभर में लगातार आवाजाही गुजराती पर्यटकों की ही रहती है। उदयपुर का कमजोर पक्ष यह कि अगर किसी घटनाक्रम में गुजराती पर्यटक शामिल है तो केस दर्ज करा दिए जाते हैं, चाहे मामूली बात ही क्यों न हो। चौराहों पर खड़े पुलिसकर्मी भी गुजरात नम्बर की गाड़ी देखते ही चालान काटने के लिए लपक पड़ते हैं। मामूली घटनाक्रमों में भी तुरंत केस दर्ज किए जाते हैं। लिहाजा गुजराती पर्यटकों को लेनदेन करके समझौता करने पर मजबूर होना पड़ता है।
पर्यटकों की यह स्थिति
माह – कुल पर्यटक – गुजराती जनवरी – 216650 – 98000 फरवरी – 171766 – 74000 मार्च – 171965 – 75000 गुजराती पर्यटकों से संबंधित स्थिति
– उदयपुर शहर में पहुंचने वाली गुजरात नंबर की कार को कम से कम एक-दो चौराहों पर तो रोका ही जाता है। – यातायात पुलिस की ओर से काटे जाने वाले चालान में 20 फीसदी चालान गुजरात नंबर की गाड़ियों के होते हैं। – गुजराती पर्यटकों से मामूली नोकझोंक, गाड़ी अडऩे जैसी घटना पर ही झगड़ा और केस दर्ज कराने की स्थिति।
– गुजरात रूट पर कई गांव, जहां से गुजरते मवेशियों को टक्कर लगने जैसी घटनाओं पर भी केस दर्ज हो जाते हैं।
इनका कहना…
पर्यटन विकास की बैठकों में भी यह मुद्दा उठता रहा है। कई बार होटल संचालक भी कहते हैं कि गुजराती पर्यटकों को इतना परेशान करेंगे तो उदयपुर के बारे में धारणा गलत बन जाएगी। पर्यटक यहां आने से ही कतराने लगेंगे। सेफ्टी अपनी जगह, लेकिन पर्यटकों के प्रति संवेदनशील सोच होनी चाहिए। शिखा सक्सेना, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग, उदयपुर यहां गुजराती पर्यटकों के साथ समस्या तो रहती है। कई बार गुजराती पर्यटकों का वाहन गलत लेन में घुस जाए तो पुलिसकर्मी नहीं छोड़ते। कई बार छोटी-बड़ी घटना पर भी बड़ा अपराधी मानकर बरताव किया जाता है। कुछ समय पहले गुजराती समाज अध्यक्ष उदयपुर आए और इस मुद्दे पर एसपी से चर्चा की।
राजेश बी. मेहता, अध्यक्ष, उदयपुर गुजराती समाज अतिथि देवाे भव: की परिपाटी रही है। पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों से कई बार शिकायतें भी की। गुजरात और अन्य राज्यों के पर्यटकों के साथ संवेदनशीलता बरतें, ताकि वे मेवाड़ की अच्छी छवि लेकर जाएं। स्थानीय नागरिक भी सहयोग करें। पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो उदयपुर को ही लाभ होगा।
सुदर्शनदेव सिंह कारोही, अध्यक्ष, होटल एसोसिएशन