डिजिटल इंडिया अंतर्गत मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक एंड टेक्नोलॉजी के माध्यम से इस पायलट प्रोजेक्ट पर दो महीने से कार्य किया जा रहा है। मिनिस्ट्री अंतर्गत पर्सन विद डिसएबिलिटीज की एक्सपर्ट कमेटी के चेयरमैन डॉ. पंकज मारू ने बताया, मौलाना आजाद नेशलन यूनिवर्सिटी हैदराबाद के कयूटर साइंस विभाग की टीम प्रोजेक्ट तैयार कर रही है। इसके लिए दल दो विजिट कर चुका है। प्रोजेक्ट पर करीब 45 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित हैं। कन्सेप्ट नोट पर अधिकारियों की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है और अब वित्तीय स्वीकृति के लिए यह प्रस्तावित है।
दिव्यांग को मिलेगी बड़ी मदद
प्रोजेक्ट को मुख्य रूप से दृष्टिबाधित लोगों की मदद के लिए तैयार करने की योजना है लेकिन इसका लाभ सभी को मिल सकेगा। मोबाइल ऐप में मंदिर का नक्शा नेविगेशन के साथ फीड रहेगा। ऐप में मार्ग देखने के साथ ही वाइस मैसेज की सुविधा रहेगी। इससे दृष्टिबाधित सुनकर यह पता कर सकेंगे कि गणेश मंदिर, प्रसादी काउंटर, प्रोटोकॉल आदि जगह जाने के लिए उन्हें किस दिशा में चलना है। डॉ. मारू के अनुसार, पायलट प्रोजेक्ट सफल होने पर इसे देश के किसी भी प्रमुख स्थल के लिए तैयार करना आसान होगा। ये भी पढ़ें:
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अभी यदि हम वाहन से कहीं जा रहे हैं तो सैटेलाइट कैमरा डिटेक्टर कर बताता है कि रीयल टाइम पर हम कहां हैं लेकिन किसी परिसर में व्यक्ति को यह बताने के लिए वहां बड़ी संया में सेंसर लगाने की आवश्यकता पड़ेगी। डॉ. मारु के अनुसार, श्रीमहाकालेश्वर मंदिर में इंटरनल नेविगेशन के लिए करीब 20-20 मीटर की दूरी पर सेंसर लगाने की आवश्यकता पड़ेगी जिससे परिसर के मुय स्थानों को मोबाइल ऐप पर देखा जा सकेगा।
भारत सरकर के साथ प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है। श्री महाकालेश्वर मंदिर का अपना इंटरनल नेविगेशन होने से आमजन के साथ ही दृष्टिबाधित श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी। प्रथम कौशिक, प्रशासक श्री महाकालेश्वर मंदिर