scriptMasan Holi: साल 2025 में इस दिन मनाई जाएगी बनारस की मसान होली, नागा साधुओं की होगी पेशवाई  | Masaan Holi 2025: In the year 2025, Banaras's Masan Holi will be celebrated on this day, Naga sadhus will be present | Patrika News
वाराणसी

Masan Holi: साल 2025 में इस दिन मनाई जाएगी बनारस की मसान होली, नागा साधुओं की होगी पेशवाई 

Masan Holi 2025 Date: वाराणसी रंगों का शहर है। इस शहर का रंग होली में और चटक हो जाता है। महाकुंभ के बाद नागा साधुओं का जत्था काशी विश्वनाथ के साथ होली खेलने के लिए पहुंच रहा है। इस साल मसान की होली कुछ खास और लग होगी। 

वाराणसीFeb 16, 2025 / 01:50 pm

Nishant Kumar

Masan Holi
Masan Holi Varanasi 2025: वाराणसी के कई रंग हैं। रंगों के त्यौहार होली में काशी के रंग और चटक और निखार जाते हैं। इस बार काशी की होली बेहद खास होने वाली है। इस बार काशी की मसान होली में नागा साधुओं की पेशवाई होने वाली है। साल 2025 में 11 मार्च (मंगलवार) को मसान की होली खेली जाएगी। 

भक्तों संग होली खेलेंगे बाबा विश्वनाथ 

Masan Holi
वाराणसी में भक्ति के अनेकों रंग हैं। जहां एक तरफ रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ भक्तों के साथ होली खेलते हैं तो वहीं अगले ही दिन मसान में भूत-प्रेत, किन्नर के साथ। इस बार नागा साधु भी इस होली की भव्यता को बढ़ाने वाले हैं। महाकुंभ के बाद नागा संयासियों का बनारस में जमावड़ा होने वाला है। 

बनारस में होली के कई रंग 

Masan Holi
संपूर्ण भारतवर्ष में होली मनाई जाती है लेकिन वाराणसी में होली के अनेकों रंग हैं। इनमे सबसे प्रसिद्द है रंगभरी एकादशी और मसान की होली। जहां एक तरफ आम जनमानस अपनी आस्था और भक्ति के रंग में होली खेलता है तो वहीं अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ को रिझाने ने कोशिश में मसान में भी होली खेली जाती है। ये होली नागा सन्यासी और किन्नर खेलते हैं। 

मसान के होली की अनूठी परंपरा 

Masan Holi
काशी में 40 दिनों तक चलने वाली होली की शुरुआत हो चुकी है। रंगभरी एकादशी के बाद 11 मार्च को मसाने की होली खेली जाएगी, जो मणिकर्णिका घाट पर होगी। इस बार यह होली और भी विशेष होगी क्योंकि नागा साधु भी इसमें शामिल होंगे। बाबा के भक्त चिता की भस्म से होली खेलेंगे, जो इस अनूठी परंपरा का हिस्सा है।  

निभाई जाएगी शिव विवाह की रश्म 

Masan Holi
रंगभरी एकादशी के अगले दिन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के आवास पर बाबा के रजत विग्रह के समक्ष हल्दी-तेल का लोकाचार संपन्न होगा। शाम को भगवान शिव को हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाई जाएगी, जिसे पं. वाचस्पति तिवारी संपादित करेंगे।

पं. वाचस्पति तिवारी ने क्या कहा ? 

पं. वाचस्पति तिवारी के अनुसार, 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर शिव-पार्वती का विवाह संपन्न होगा। 07 मार्च को मां गौरा की हल्दी की रस्म आयोजित की जाएगी, जबकि 08 मार्च को मंगल शगुन की परंपरा निभाई जाएगी। 09 मार्च को बाबा का गौरा सदनिका आगमन होगा, जो गौना की रस्म का हिस्सा है। 10 मार्च, रंगभरी एकादशी के दिन, भव्य पालकी यात्रा निकलेगी, जो श्री काशी विश्वनाथ मंदिर तक पहुंचेगी।
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10 दिनों तक अलग रंगों से होली 

Masan Holi
इसके साथ ही, काशी में विराजमान वैष्णवजन 40 दिनों तक होली खेलते हैं। यह परंपरा माघ मास शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी से लेकर फाल्गुन मास पूर्णिमा तक चलती है। हर 10-10 दिनों में अलग-अलग रंगों से होली खेलने का विशेष रिवाज है, जो इस उत्सव को और भी रंगीन व आनंदमय बनाता है।

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