परिषद की याचिका खारिज कर दी
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जे के माहेश्वरी और न्यायाधीश अरविन्दकुमार ने राजस्थान हाईकोर्ट के 7 साल पुराने आदेश पर दखल देने से इनकार करते हुए परिषद की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लोक जुम्बिश से हटाए गए इन कर्मचारियों को नियमित करने का रास्ता साफ हो गया।
इन कर्मचारियों को समान अवसर पाने का हकदार माना
राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने कहा कि ये कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए भर्ती होने के कारण इन्हें सीधे समायोजन का अधिकार नहीं था। हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट ने आवश्यक शैक्षणिक कार्य करने के कारण इन कर्मचारियों को समान अवसर पाने का हकदार माना।
भर्ती होने वाले कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता
इन हटाए गए कर्मचारियों की ओर से अधिवक्ता मनु मृदुल व अन्य ने तर्क दिया कि 2004 से विवाद चल रहा है और 2007 में हाईकोर्ट की एकलपीठ व 2018 में खंडपीठ ने इनके पक्ष में फैसला दिया। उन्होंने दलील दी कि 948 अन्य कर्मचारियों को सर्व शिक्षा अभियान में समायोजित कर लिया तो समान शैक्षणिक कार्य कर रहे प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए भर्ती होने वाले कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।