वे सोमवार को गांधीनगर में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षण संस्थान (आईआईटीई) के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में 3010 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई।उन्होंने कहा कि एक अच्छा, चरित्रवान, कर्मनिष्ठ, समाजसेवी व बच्चों से प्रेम करने वाला और भविष्य को भांपने वाला शिक्षक ही समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
दुनिया को ऐसे श्रेष्ठ शिक्षकों की भेंट देने के उम्दा आशय से तत्कालीन मुख्यमंत्री व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आईआईटीई की परिकल्पना की थी। यह शिक्षकों को प्रशिक्षित करने वाली देश की अपने आप में ऐसी पहली संस्था है।
संस्कृति-राष्ट्र को मजबूत बनाने को शिक्षा व्यवस्था अहम
उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति और राष्ट्र को मजबूत बनाने के लिए शिक्षा व्यवस्था महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों के जीवन निर्माण के मूल में शिक्षकों का दिया ज्ञान होता है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि तुम्हारे पास से शिक्षा प्राप्त करने वाला बच्चा योग्य दिशा में और देश को उपयोगी बन सके ऐसे कार्यों में जुड़े। आईआईटीई के कुलपति प्रो. रमेश पटेल और एनसीटीई के पूर्व अध्यक्ष प्रो.संतोष पांडा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
3010 विद्यार्थियों को प्रदान की डिग्री
दीक्षांत समारोह में बीए-बीएड के 85, बीएससी- बीएड के 77, बीएड -एमएड के 7, बीएड के 2745, एमए-एमएड के पांच, एमएससी -एमएड के 39, एमएड के 24 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। इसके अलावा एमए (एजुकेशन) के 20, पीएचडी के पांच और एमएससी के तीन विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई। दो शिक्षकों को चाणक्य अवार्ड प्रदान किया गया।