scriptबड़े फर्जीवाड़े का नया खुलासा: 134 पदों की भर्ती में 30 पदों पर डॉक्यूमेंट वेरफिकेशन और आवेदन के डॉक्यूमेंट में अलग-अलग मिली लोकेशन | Big Fraud In Rajasthan Govt Job On 134 Clerks New Disclosure On Document Verification | Patrika News
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बड़े फर्जीवाड़े का नया खुलासा: 134 पदों की भर्ती में 30 पदों पर डॉक्यूमेंट वेरफिकेशन और आवेदन के डॉक्यूमेंट में अलग-अलग मिली लोकेशन

Big Fraud In Govt Job: 15 अभ्यर्थी ऐसे मिले थे जिनकी कटऑफ ज्यादा थी, लेकिन नौकरी कम अंक वालों को दी गई थी। प्रशासन ने इस मामले में जिला परिषद से दस्तावेज मांगे।

अलवरFeb 26, 2025 / 10:27 am

Akshita Deora

Rajasthan News: जिला परिषद की ओर से दो साल पहले की गई 134 लिपिकों की भर्ती में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। इसमें 30 से ज्यादा ऐसे अभ्यर्थी सामने आए हैं, जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन में अपनी कंप्यूटर योग्यता जिले या राज्य से बाहर की होने का जिक्र किया था, लेकिन सत्यापन के समय इन्होंने दूसरे दस्तावेज पेश किए। इसके बाद भी इनकी नौकरी लग गई।

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मालूम हो कि हाल ही में शिक्षा विभाग में कार्यरत 134 पीटीआई को इसलिए बर्खास्त कर दिया गया था, क्योंकि उनके आवेदन में उल्लेखित डिग्रियों के स्थान पर दूसरी डिग्रियां नौकरी लेते समय प्रस्तुत की गई थीं।

ये थे सरकार के आदेश

पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त आयुक्त की ओर से 7 जून 2013 को लिपिक भर्ती के लिए जो विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए थे, उसके बिंदु संख्या 19 पर साफ लिखा हुआ था कि आवेदक ने ऑनलाइन आवेदन में जिस बोर्ड, विश्वविद्यालय और संस्था का जिक्र किया है, उस संस्था से अलग प्रमाण पत्र लाने पर उसका आवेदन रिजेक्ट कर दिया जाए, लेकिन जिला परिषद ने ऐसा नहीं किया। भर्ती में आवेदन के दौरान लिखे दस्तावेजों से अलग प्रमाण पत्र लाकर यह लोग नौकरी पा गए।
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सिक्किम, मणिपुर, मेघालय के दस्तावेजों का सत्यापन नहीं : करीब 600 लिपिकों की भर्ती तीन चरण में हुई थी। बताया जा रहा है कि ऐसे केसों की संख्या पूरी भर्ती में सौ से ज्यादा हो सकती है। सरकार के सर्कुलर में यह भी लिखा था कि सिक्किम, मणिपुर और मेघालय के दस्तावेजों की सत्यापन जांच होने तक किसी भी अभ्यर्थी को नियुक्ति न दी जाए, लेकिन जिला परिषद ने इनका सत्यापन नहीं कराया। इनमें मेघालय, दिल्ली, सिक्किम और भोपाल से प्रमाण पत्र लाने वालों में कई लोग शामिल हैं।
बता दें कि कुछ समय पहले 15 अभ्यर्थी ऐसे मिले थे जिनकी कटऑफ ज्यादा थी, लेकिन नौकरी कम अंक वालों को दी गई थी। प्रशासन ने इस मामले में जिला परिषद से दस्तावेज मांगे, जबकि पूछना था कि आखिर इन ज्यादा अंक वालों के सत्यापन क्यों नहीं किए गए?
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विधानसभा में उठाया मामला

हाल ही में बानसूर विधायक देवी सिंह शेखावत ने विधानसभा में प्रश्न लगाकर ऐसे लिपिकों की जानकारी सरकार से मांगी, जिन्होंने डीड एवं निजी विश्वविद्यालय से गैर नियमित छात्र के रूप में शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। उल्लेखनीय है कि पंचायती राज विभाग के शासन सचिव की ओर से 4 अगस्त 2017 को एक आदेश जारी कर निजी एवं डीड यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर प्रमाण पत्र प्राप्त करने वाले सभी अभ्यर्थियों का चयन एवं नियुक्ति निरस्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
इस नियुक्ति में कई अभ्यर्थी ऐसे भी हैं जिन्होंने कंप्यूटर योग्यता अर्जित करने का वर्ष आवेदन में नहीं लिखा है, जो संदेहास्पद है। कई ने प्राइवेट विश्वविद्यालय के कंप्यूटर प्रमाण पत्र दिखाए हैं, जो कि मान्य नहीं हैं।

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