बता दें कि कि सेंट्रल एपावर्ड कमेटी ने सिफारिश की थी कि पांडुपोल हनुमान मंदिर तक श्रद्धालुओं के लिए इलेक्ट्रिक बसें चलाएं। इसके लिए ट्रायल हो चुका है। लेकिन, अभी टेंडर होना बाकी है। वन विभाग को उम्मीद है कि फरवरी में इलेक्ट्रिक बसों का टेंडर हो जाएगा।
मार्च में बसें चलने की संभावना
पहले चरण में 30 बसें आ जाएंगी। उसके साथ पेट्रोल व डीजल वाहनों का प्रवेश मंदिर तक बंद हो जाएगा। सेंट्रल एपावर्ड कमेटी ने मार्च तक ही इलेक्ट्रिक बसें चलाने के लिए कहा है। सरिस्का के क्षेत्र निदेशक संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों के लिए टेंडर सरकार के स्तर पर होगा। मंदिर तक होगा इलेक्ट्रिक बसों का संचालन
इधर, परिवहन विभाग ने श्रद्धालुओं के लिए एक रोडवेज बस चला दी। बस की लंबाई ज्यादा है, जबकि मंदिर के पास घुमाव क्षेत्र इतना नहीं है। ऐसे में मंदिर से तीन किमी की दूरी पर ही बस रोकी जाएगी। लेकिन, इलेक्ट्रिक बसों का संचालन मंदिर तक हो पाएगा। इन बसों के संचालन के लिए सरकार के स्तर से निर्णय होना बाकी है और टेंडर प्रक्रिया परिवहन विभाग करेगा।