World Cancer Day: कैंसर पर अभी तक चिकित्सा जगत पूरी तरह पार नहीं पा सका है। यही वजह है कि कैंसर का नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप जाती है, लेकिन मजबूत हौसले, दृढ़ इच्छा शक्ति और जिंदादिली से इस बीमारी को मात दी जा सकती है। जीवन जीने का सही नजरिया और सकारात्मक सोच इसमें कारगर साबित हो सकते हैं। यह कहना है कैंसर से जंग जीत चुके लोगों का। ऐसे ही चुनिंदा लोगों के अनुभव हम पाठकों के लिए साझा कर रहे हैं, जिन्होंने कैंसर को मात दी, साथ ही आज दूसरों के लिए भी नजीर भी बन रहे हैं।
जनवरी 2023 में पेट में बार-बार दर्द हो रहा था। डॉक्टरों ने अपेंडिक्स बता ऑपरेशन कर गांठ निकाल दी, बाद में जांच हुई तो कैंसर की पुष्टि हुई। यह मेरे परिवार के लिए बड़ा सदमा था। बेटियों की शादी करनी थी। मैंने हिम्मत नहीं हारी। मुझे आंत का कैंसर था। ऑपरेशन कर आंत निकाल दी गई। दूसरी बार भी कैंसर की गांठ ऑपरेशन से निकाली। आठ बार कीमोथेरेपी हुई। कुछ दिन फिर से दर्द हुआ तो पता चला कि ऑवरी में गांठ है। तीसरी बार में जयपुर के डॉक्टरों ने भी ऑपरेशन करने से मना कर दिया, क्योंकि दो ऑपरेशन पहले हो चुके थे। तब मैंने अलवर के एक हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराया। अब सही हूं।
मेरी उम्र 72 साल है। ट्रांसपोर्ट नगर में मेरी स्पेयर पार्ट्स की दुकान है। मुझे फेफड़ों का कैंसर हो गया। अलवर के जिला अस्पताल में 6 कीमोथेरेपी कराई। फिर रेडियोथेरेपी के लिए जयपुर गया। वहां के चिकित्सक के परामर्श पर अलवर आकर एक बार फिर कीमोथेरेपी कराई, लेकिन जांच में फिर से हल्का सा कैंसर आने पर एक दिन छोड़कर एक दिन 5 थेरेपी ली। कैंसर का पता लगने के बाद भी मैंने तनाव नहीं लिया। अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।
भगवान सहाय गुप्ता, निवासी रणजीत नगर
मेरी उम्र 60 साल है। कुछ साल मुंह में छाला हुआ। बाद में वहां गांठ बन गई। चिकित्सकों ने मुंह का कैंसर बताया। मैं बिल्कुल भी नहीं घबराया। मन में यही सोचा कि जीना-मरना जो होगा, देखा जाएगा। परिवार ने और खासतौर से बेटियों ने पूरा साथ दिया। मैंने 8 मई 2023 को जयपुर में कैंसर का ऑपरेशन कराया। इसके बाद अलवर के जिला अस्पताल में आ गया। मुंह में अभी घाव है और खाते समय मुंह की हड्डी में थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन जांच में कोई बीमारी नहीं है। अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।
वर्ष 2017 में मुझे पता चला कि मेरे पेट में कैंसर है। मैं घबरा गई। डर लगने लगा कि अब जी नहीं पाऊंगी। फिर मैंने सोचा कि मेरे घबराने से परिवार टूट जाएगा। मैंने हौसला जुटाया। उस समय कैंसर की चौथी स्टेज थी। डॉक्टरों ने भी जवाब दे दिया, लेकिन मैं जीना चाहती थी। मैंने कैंसर को हराने की ठान ली। नियमित दवा ली और खाने-पीने में परहेज किया। डॉक्टर ने पेट से कैंसर की गांठ निकाली, तो लगा अब मैं ठीक हूं, लेकिन दो साल बाद फिर से कैंसर हो गया। इसी दौरान कोरोना आ गया। इलाज के लिए दिल्ली जाना मुश्किल हो गया, लेकिन फिर भी जैसे-तैसे इलाज कराया। दो बार ऑपरेशन के बाद अब मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं।
संतोष गुप्ता
Hindi News / Alwar / “पेट दर्द में हॉस्पिटल पहुंची तो परिवार को लगा बड़ा सदमा…बेटियों की शादी करनी थी, निकला आंत का कैंसर”, फिर ऐसे जीती जिंदगी की जंग