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बालाघाट

राष्ट्रीय टाइगर पार्क और अभयारण्यों का अनोखा सर्कल बन रहा सोनेवानी का जंगल

वन्य जीवों का पूर्व व पश्चिमी घाट तक होगा विस्तार
मप्र और महाराष्ट्र के वन्य जीवों के लिए बन रहा अनुकूल सर्कल
5 राष्ट्रीय टाइगर पार्क, दो अभयारण्यों से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से करेगा साझेदारी
सोनेवानी में सेंट्रल इंडिया का सबसे चौड़ा सागौन आज भी आकर्षण

बालाघाटJun 05, 2025 / 10:20 pm

mukesh yadav

मप्र और महाराष्ट्र के वन्य जीवों के लिए बन रहा अनुकूल सर्कल

मप्र और महाराष्ट्र के वन्य जीवों के लिए बन रहा अनुकूल सर्कल

जिले की पहचान में चार चांद लगाने वाला सोनेवानी जंगल पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा है। इस जंगल को कंसर्वेशन रिजर्व मंजूरी मिलने से यह ऐसी भूमिका में होगा जो जैव विविधता, वन्य जीव संरक्षण, इको टूरिज्म के साथ पारिस्थितिक तंत्र को भी मजबूती देने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। वन्य जीवों के संरक्षण के लिहाज से देखें तो इससे न सिर्फ पेंच व कान्हा टाइगर रिजर्व बल्कि मप्र और महाराष्ट्र के 5 राष्ट्रीय टाइगर पार्क और 2 अभयारण्यों से जुडकऱ एक अनोखे सर्कल तैयार हो रहा है।
बता दें कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की अध्यक्षता में मई माह में हुई मप्र राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की 29 वीं बैठक में सोनेवानी जंगल को कंसर्वेशन रिजर्व की मंजूरी प्रदान की गई है। इसके बाद ही भविष्य की संभावनाएं तलाशी जाने लगी है।

इन पार्को का बन रह सर्कल

सोनेवानी का जंगल महाराष्ट्र के नागझिर नवेगांव टाईगर रिजर्व, ताडोबा अंधारी टाईगर रिजर्व, मेलघाट टाईगर रिजर्व और महाराष्ट्र के उमरेड करहंडला वन्यजीव तथा मंडला के फेन वन्यजीव अभ्यारण्य के साथ अप्रत्यक्ष रूप से साझेदारी कर रहा है। यानी दक्षिण में अमरावती-चंद्रपुर-नागपुर से उत्तर में मंडला, पूर्व में गोंदिया, पश्चिम में बैतूल तक वन्य जीवों के विचरण व पारिस्थितिकी तंत्र का एक असाधारण सर्कल बना रहा है।

जंगल में बसी सुंदरता

रेंजर हर्षित सक्सेना ने बताया कि सोनेवानी कई मायनों में सबसे अलग वन्य क्षेत्र है। यहां 6 से 7 बड़े तालाब है, जिनमें वर्ष भर पानी उपलब्ध रहता है। वैनगंगा की सहायक सर्राटी नदी भी यहीं है। साथ ही सिलेझरी के घास के मैदान, विभिन्न प्रजातियों की जीवनपयोगी सामग्रियां इस जंगल में मौजूद है। बाघों के लिए 180 वर्ग मीटर का हैचिंग घना क्षेत्र जो 5 से 6 महीने तक मानवीय हस्तक्षेप से दूर शावकों को छिपाने के लिए प्राथमिकता देता है। यह क्षेत्र 16319.58 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।

158 वर्ष पुराना सागौन का

एक जानकारी के अनुसार बालाघाट में कभी फॉरेस्ट स्कूल के प्राचार्य रहे अंग्रेज डेट्रिच ब्रांडिस जिन्हें भारत में फॉरेस्ट्री के फाउंडर के रूप में जाना जाता हैं। उन्होंने सोनेवानी में 1867 में सागौन का पौधा रोपा था, जो आज भी सोनेवानी जंगल में जीवित अवस्था में है। जिसे महावृक्ष की संज्ञा दी जाती है। इसकी 467 सेमी गोलाई है, जो मध्य भारत का सबसे चौड़े सागौन के रूप में उल्लेखनीय है।

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