इन पार्को का बन रह सर्कल
सोनेवानी का जंगल महाराष्ट्र के नागझिर नवेगांव टाईगर रिजर्व, ताडोबा अंधारी टाईगर रिजर्व, मेलघाट टाईगर रिजर्व और महाराष्ट्र के उमरेड करहंडला वन्यजीव तथा मंडला के फेन वन्यजीव अभ्यारण्य के साथ अप्रत्यक्ष रूप से साझेदारी कर रहा है। यानी दक्षिण में अमरावती-चंद्रपुर-नागपुर से उत्तर में मंडला, पूर्व में गोंदिया, पश्चिम में बैतूल तक वन्य जीवों के विचरण व पारिस्थितिकी तंत्र का एक असाधारण सर्कल बना रहा है।
जंगल में बसी सुंदरता
रेंजर हर्षित सक्सेना ने बताया कि सोनेवानी कई मायनों में सबसे अलग वन्य क्षेत्र है। यहां 6 से 7 बड़े तालाब है, जिनमें वर्ष भर पानी उपलब्ध रहता है। वैनगंगा की सहायक सर्राटी नदी भी यहीं है। साथ ही सिलेझरी के घास के मैदान, विभिन्न प्रजातियों की जीवनपयोगी सामग्रियां इस जंगल में मौजूद है। बाघों के लिए 180 वर्ग मीटर का हैचिंग घना क्षेत्र जो 5 से 6 महीने तक मानवीय हस्तक्षेप से दूर शावकों को छिपाने के लिए प्राथमिकता देता है। यह क्षेत्र 16319.58 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है।
158 वर्ष पुराना सागौन का
एक जानकारी के अनुसार बालाघाट में कभी फॉरेस्ट स्कूल के प्राचार्य रहे अंग्रेज डेट्रिच ब्रांडिस जिन्हें भारत में फॉरेस्ट्री के फाउंडर के रूप में जाना जाता हैं। उन्होंने सोनेवानी में 1867 में सागौन का पौधा रोपा था, जो आज भी सोनेवानी जंगल में जीवित अवस्था में है। जिसे महावृक्ष की संज्ञा दी जाती है। इसकी 467 सेमी गोलाई है, जो मध्य भारत का सबसे चौड़े सागौन के रूप में उल्लेखनीय है।