कई दिनों तक दिल्ली में डेरा डालने के बावजूद भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बागी नेताओं से नहीं मिला। हालांकि, बगावत करने वाले नेताओं ने दावा किया था कि रमेश जारकीहोली पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिले लेकिन वह दावा गलत निकला। उसके बाद पार्टी ने विजयपुर के विधायक व पूर्व केंद्रीय मंत्री बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल को दोबारा नोटिस जारी कर 72 घंटे के भीतर जवाब देने को कहा। यत्नाल लगातार बीवाई विजयेंद्र और पूर्व मुख्यंत्री बीएस येडियूरप्पा के खिलाफ हमलावर रहे हैं। लेकिन, यत्नाल ने पार्टी आलाकमान को भी नजरअंदाज करते हुए कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। अगर, नोटिस मिलेगा तो भी वह जवाब नहीं देंगे।
बागियों पर जल्द फैसले की उम्मीद
पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनके इस बयान को आलाकमान ने काफी गंभीरता से लिया है। पार्टी ने राजस्थान के कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, हरियाणा के बागी नेता अनिल विज और बसनगौड़ा पाटिल यत्नाल को एक साथ नोटिस जारी किया। किरोड़ी लाल मीणा और विज ने नोटिस के जवाब भेज दिए, लेकिन यत्नाल ने कह दिया कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी अनुशासन समिति की बैठक अगले एक-दो दिनों में होने की उम्मीद है जिसमें इन मुद्दों पर फैसला किया जा सकता है। दिल्ली चुनाव के बाद पार्टी को फोकस संगठनात्मक बदलावों पर है। नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए सभी प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव किया जाना है। इसकी घोषणा भी जल्द होने की उम्मीद है।
पीछे हटे बागियों का साथ देने वाले तटस्थ नेता
इस बीच यत्नाल के बयान पर पार्टी ने सख्त रुख अपनाया है। पार्टी के वैसे नेता जो तटस्थ की भूमिका में थे और यत्नाल के बचाव कर रहे थे वे भी अब दुविधा में हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी हाइकमान यह मान रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर विजयेंद्र ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। उनके पास पार्टी को देने के लिए अभी बहुत कुछ है। विजयेंद्र को नवम्बर 2023 में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था जब विधानसभा चुनावों में कुछ महीने शेष रह गए थे। पार्टी अध्यक्ष नड्डा की ओर से जारी नियुक्ति पत्र में उनका कोई कार्यकाल निर्धारित नहीं किया गया था। अमूमन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति तीन साल के लिए करती है। विजयेंद्र के पूर्ववर्ती नलिन कुमार कटील 4 साल तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, यत्नाल को कारण बताओ नोटिस इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उन्हें पार्टी के भीतर अभी भी विद्रोही माना जा रहा है।