ट्रेड एक्टिविस्ट सज्जनराज मेहता ने कहा कि दिल्ली में लोग लम्बी दूरी की यात्रा करने के लिए मेट्रो का उपयोग करते हैं, लेकिन बेंगलूरु में लम्बी दूरी की यात्रा करने के लिए यात्रियों को बेंगलूरु मेट्रो पॉलिटन ट्रांसपोर्ट (बीएमटीसी) पर निर्भरता होना पड़ेगा। कारण कि हवाई अड्डा के लिए एक ही ब्लू लाइन की केन्द्रीय सिल्क बोर्ड से हवाई अड्डा तक सीधी कनेक्टिविटी रहेगी। जबकि पर्पल और ग्रीन लाइन से हवाई अड्डा तक जाने वाले यात्रियों को दो से चार मेट्रो बदलनी पड़ सकती हैं। ऐसे में बीएमटीसी ही बेहतर विकल्प हो सकता है। यदि यात्री के पास सामान अधिक है तो वह तीन से चार मेट्रो कैसे बदल पाएगा। मेट्रो प्रबंधन ने इस पर जरा भी गौर नहीं किया। शहर के मैजेस्टिक व ग्रीन लाइन के मेट्रो स्टेशनों से हवाई अड्डे का यह सफर जहां यात्रियों के लिए थकाऊ होगा, वहीं असुरक्षित भी हो सकता है। बीएमआरसीएल प्रबंधन को चाहिए कि वह कोई भी नवाचार से पूर्व शहर के व्यापारियों व प्रबुद्ध नागरिकों के सुझाव को तरजीह दे। ————————————
कपड़ा व्यापारी अरविन्द सिंघी ने कहा कि हम यलचनहल्ली इलाके में रहते हैं। हमें हवाई अड्डा जाने के लिए पहले तो नाडप्रभु केम्पेगौड़ा मैजेस्टिक स्टेशन उतरना पड़ेगा। यदि पिंक लाइन पकडऩी है तो पहले एमजी रोड मेट्रो स्टेशन उतरना पड़ेगा। एमजी रोड से बाद नागवारा जाना होगा। नागवारा से ब्लू लाइन पकड़ कर हवाई अड्डा पहुंचना होगा। यलचनहल्ली से हवाई अड्डे तक कुल 33 स्टेशन की यात्रा करनी होगी तथा चार मेट्रो बदलनी होगी। यदि यलचनहल्ली से हवाई अड्डा जाते हैं तो पहले मैजेस्टिक आना होगा। वहां से पर्पल लाइन से वाया केआर पुरम जाना होगा। केआरपुरम से हवाई अड्डा के लिए ब्लू लाइन मेट्रो पकडऩी होगी। कुल 38 स्टेशनों की यात्रा करने के बाद हवाई अड्ड पहुंच सकेंगे। एयरपोर्ट जाने वाले व्यक्ति के पास निश्चित रूप से सामान होगा। अगर परिवार के साथ है, तो सामान अधिक होगा।————————————–
बेंगलूरु मेट्रो एंड सबअर्बन रेल पैसेंजर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश मांडोत ने कहा कि बेंगलूरु शहर के मैजेस्टिक से हवाई अड्डा जाना है तो दो से तीन जगह मेट्रो बदलना अनिवार्य होगा। ऐसे में यदि यात्री के पास सामान अधिक हुआ तो उसे बार-बार इंटरचेंज करना काफी असुविधा जनक होगा। बेंगलूरु के हवाई अड्डे के लिए हर जगह से सीधी मेट्रो कनेक्टिविटी करना संभव नहीं है। मैजेस्टिक कैम्पेगौड़ा से हवाई अड्डा तक पहुंचने के लिए सबअर्बन रेल ही इसका सीधा विकल्प हो सकता है। लेकिन इस सपने को पूरा होने में करीब सात साल तक लग सकते हैं। मेट्रो का जब प्रोजेक्ट तैयार किया जा रहा था। उस वक्त हवाई अड्डे से कनेक्टिविटी का ध्यान विशेष रूप से रखा जाना चाहिए था। उस दौरान इंजीनियरों ने इसकी अनदेखी की। यदि शुरुआत में ध्यान रखते तो मल्टीपल इंटरचेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। एक या दो इंटरचेंज में यात्री हवाई अड्डा पहुंच सकता था।