यतिन राठौर के लिए कला निर्देशन केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक जुनून है। वह पिछले 10 वर्षों से थियेटर से जुड़े हुए हैं और इस दौरान उन्होंने रंगमंच के विविध पहलुओं पर गहरी पकड़ बनाई। यही अनुभव अब ओमलो फिल्म में उनके कला निर्देशन में देखने को मिलता है। फिल्म के हर ²श्य को उन्होंने संवेदनाओं और ²श्यात्मकता के साथ सजाया है, इससे यह फिल्म और भी प्रभावशाली बन पाई है।
ऐसी है फिल्म ओमलो एक संवेदनशील और गहरे सामाजिक मुद्दे पर आधारित फिल्म है, जो एक 7 साल के बच्चे और ऊंट की जीवनशैली पर आधारित है। फिल्म की रियलिस्टिक और रॉ सिनेमाटोग्राफी ने इसे एक अनोखा रूप दिया है। यतिन राठौर के कला निर्देशन ने फिल्म को और भी जीवंत बनाया है। उनके द्वारा डि•ााइन की गई सेङ्क्षटग्स फिल्म को एक नया आयाम प्रदान करती हैं। यतिन का मानना है कि सिनेमा और कला का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं होना चाहिए, बल्कि यह दर्शकों को एक सशक्त संदेश देने का भी माध्यम होना चाहिए। उन्होंने ओमलो के हर ²श्य को इस तरह से सजाया कि यह फिल्म न केवल एक कथा बयां करती है, बल्कि दर्शकों के दिलों और मानसिकता में गहरी छाप छोड़ती है।
सिनेमा से समाज में बदलाव संभव ओमलो में यतिन राठौर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। फिल्म में उनके द्वारा किए गए कला निर्देशन ने फिल्म को एक उच्चतम स्तर पर पहुंचाया। फिल्म के सेट, ²श्य, और रंग-रूप में यतिन की कला का प्रभाव साफ तौर पर दिखाई देता है। उनका मानना है कि सिनेमा के माध्यम से समाज में बदलाव लाया जा सकता है और फिल्म के माध्यम से संवेदनाओं को सजीव किया जा सकता है। यतिन राठौर की यह यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और सपनों की कहानी है, बल्कि यह छोटे शहरों से आकर बड़े सपने देखने वालों के लिए एक प्रेरणा भी है। उनके काम से यह सिद्ध होता है कि अगर मेहनत और समर्पण सच्चे हों, तो कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को पूरा कर सकता है।