scriptजिला अस्पताल में एफएनएसी और बायोप्सी जांच तो शुरू करो ‘सरकार’ | World Cancer Day today: Early detection gives effective treatment, but there is no early detection facility | Patrika News
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जिला अस्पताल में एफएनएसी और बायोप्सी जांच तो शुरू करो ‘सरकार’

इस स्थिति को देखते हुए ही वल्र्ड कैंसर डे 4 फरवरी 2025 की थीम यूनाइटेड बाय यूनीक रखी गई है। यह थीम प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं को देखते हुए व्यक्तिगत देखभाल और उपचार के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस थीम का उद्देश्य कैंसर केयर व इलाज की असमानता को समझना और उसका निदान करना है।

बारांFeb 04, 2025 / 12:27 pm

mukesh gour

इस स्थिति को देखते हुए ही वल्र्ड कैंसर डे 4 फरवरी 2025 की थीम यूनाइटेड बाय यूनीक रखी गई है। यह थीम प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं को देखते हुए व्यक्तिगत देखभाल और उपचार के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस थीम का उद्देश्य कैंसर केयर व इलाज की असमानता को समझना और उसका निदान करना है।

इस स्थिति को देखते हुए ही वल्र्ड कैंसर डे 4 फरवरी 2025 की थीम यूनाइटेड बाय यूनीक रखी गई है। यह थीम प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं को देखते हुए व्यक्तिगत देखभाल और उपचार के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस थीम का उद्देश्य कैंसर केयर व इलाज की असमानता को समझना और उसका निदान करना है।

विश्व कैंसर दिवस आज : जल्द पहचान से प्रभावी उपचार, लेकिन प्रारंभिक जांच सुविधा भी नहीं

health news : बारां. कैंसर की जल्द पहचान होने से उसका सहज, प्रभावी और सस्ता इलाज होने की पूरी संभावना है, लेकिन यहां प्रथम चरण की जांच सुविधाएं तक शुरू नहीं की जा रही है। मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद लोगों को सरकार से बड़ी उम्मीद है, लेकिन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की पहचान के लिए पहले स्टेज की एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी टेस्ट) जांच और बायोप्सी जांच करने की सुविधा तक शुरू नहीं की जा रही है। इन दोनों जांच के लिए भी मरीजों को कोटा, जयपुर और बड़े शहरों की दौड़ लगानी पड़ रही है। कैंसर गंभीर बीमारी है, लेकिन जागरूकता की कमी से मर्ज बढ़ रहा है। महिलाएं अधिक चपेट में आ रही है।
इस स्थिति को देखते हुए ही वल्र्ड कैंसर डे 4 फरवरी 2025 की थीम यूनाइटेड बाय यूनीक रखी गई है। यह थीम प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट आवश्यकताओं को देखते हुए व्यक्तिगत देखभाल और उपचार के महत्व पर प्रकाश डालती है। इस थीम का उद्देश्य कैंसर केयर व इलाज की असमानता को समझना और उसका निदान करना है। एफएनएसी जांच से गैर कैंसर अथवा कैंसर संबंधी गांठ होने का पता लगाने में मदद मिलती है। बायोप्सी से कैंसर ट््यूमर डीएनए के प्रारंभिक स्तर का पता लगाने में मदद मिलती है। इन जांच के लिए यहां से मरीजों को कोटा मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। जांच के बाद वहां किमोथैरेपी, टार्गेटेड थैरेपी आदि देकर इलाज शुरू किया जाता है। यहां कीमोथैरेपी की सुविधा होने से मरीजों को बारबार कोटा जाने की जरूरत नहीं होती है। इलाज के साइड इफेक्ट के दौरान जरूरी होने पर मरीजों को भर्ती कर पॉलिएटिव केयर दी जा रही है। रिटायर्ड सर्जन डॉ. बीएम नागर ने कहा कि लोग शुरूआती लक्षण सामने आते ही डर जाते है। जबकि अब काफी इलाज है। तीसरी, चौथी स्टेज के कैंसर रोगी भी स्वस्थ हो रहे है। अधिकाधिक स्क्रीङ्क्षनग की जाए। इससे जल्द पता लग जाएगा और जल्द इलाज मिलने से बीमारी ठीक हो जाती है ओर वर्षो तक जीते है। नियमित चिकित्सक से जांच कराते रहना चाहिए। यहां जर्दा, गुटखा मुहं के कैंसर का मुख्य कारण है। इस पर बैन लगाया जाए।
प्रारम्भिक स्तर पर पहचान होने से प्रभावी इलाज हो जाता है। कई मरीज जल्द पहचान के बाद स्वस्थ हो चुके है। फिलहाल यहां एफएनएसी व बायोप्सी सुविधा नहीं है। बाहर से जांच के बाद पॉलिटिव केयर सुविधा दी जा रही है। सर्जरी भी की जा रही है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, तंबाकू का सेवन नहीं करें। अनावश्यक रेडियेशन से बचें।
हेमराज नागर, सर्जन, जिला अस्पताल

ऐसे करें जोखिम कम

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
तंबाकू से बचें
शराब का सेवन सीमित करें
त्वचा को धूप से बचाएं
टीकाकरण करवाएं
नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराएं
लक्षण और संकेत
अचानक वजन कम होना
लगातार थकान, त्वचा में बदलाव
गांठ या सूजन, लगातार दर्द
मल-मूत्र की आदतों में बदलाव
रक्तस्राव या चोट के निशान
लंबे समय तक खांसी या आवाज में बदलाव
बीते एक वर्ष में जनवरी 2025 तक की रिपोर्ट

चिन्हित कैंसर रोगी 374
ओपीडी 2669
महिला रोगी 1807
पुरूष रोगी 862

भर्ती किए गए रोगी
महिला रोगी 569
पुरूष रोगी 1269
कुल 1838
आईवी कीमोथेरेपी 1044
ओरल कीमोथैरेपी 158
पॉलिएटिव केयर वार्ड 636
सर्जरी 29
रेडियोथैरेपी 50

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