पहला ऑपरेशन: गलतियां हुईं, पर बताया नहीं गया
पीलीभीत के राजकीय मेडिकल कॉलेज में 7 जुलाई 2024 को खीलावती (45) का बच्चेदानी का ऑपरेशन हुआ था। उनके पति उमाशंकर को डॉक्टरों ने आश्वासन दिया था कि सर्जरी सफल रही है और अब कोई दिक्कत नहीं होगी। यह ऑपरेशन डॉ. रामबेटी चौहान और डॉ. हिमांक माहेश्वरी की देखरेख में हुआ था। लेकिन कुछ ही दिनों में खीलावती को दोबारा पेट में तेज दर्द होने लगा। 13 नवंबर 2024 को उन्हें फिर से राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने बताया कि पहला ऑपरेशन सफल नहीं हुआ और दोबारा सर्जरी करनी होगी।
दूसरी सर्जरी में हुई घातक लापरवाही
15 नवंबर को प्रोफेसर डॉ. रुचिका बोरा, डॉ. सैफ अली और डॉ. आशा गंगवार ने दोबारा ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के अगले दिन जब सीटी स्कैन किया गया, तो उसमें सामने आया कि डॉक्टरों ने महिला के पेट में स्पंज छोड़ दिया था। इसके बावजूद डॉक्टरों ने मरीज या उसके परिवार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी और 26 नवंबर को खीलावती को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया।
संक्रमण बढ़ा, बरेली में मौत
घर पहुंचने के बाद खीलावती की तबीयत और बिगड़ने लगी। दिसंबर में जब उन्हें बरेली के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, तो वहां के डॉक्टरों ने बताया कि उनके पेट में ऑपरेशन के दौरान छूटा हुआ स्पंज है, जिससे गंभीर संक्रमण फैल चुका है। इलाज के दौरान ही उनकी मौत हो गई।
जांच में पांच डॉक्टरों को दोषी पाया गया
खीलावती के पति उमाशंकर ने डीएम संजय कुमार से मामले की शिकायत की। डीएम ने सीएमओ डॉ. आलोक को जांच के निर्देश दिए। जांच रिपोर्ट में राजकीय मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रुचिका बोरा, सीनियर रेजिडेंट डॉ. सैफ अली, डॉ. आशा गंगवार, डॉ. रामबेटी चौहान और डॉ. हिमांक माहेश्वरी को लापरवाही का दोषी पाया गया। इन डॉक्टरों ने न केवल ऑपरेशन में लापरवाही बरती, बल्कि सर्जरी के बाद मरीज की बिगड़ती हालत के बारे में भी सही जानकारी साझा नहीं की। डीएम संजय कुमार ने बताया कि सभी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।