प्रशासन ने इन संपत्तियों की जानकारी तहसील स्तर पर राजस्व अभिलेखों की जांच के बाद एकत्र की है।
सबसे अधिक संपत्तियां सदर तहसील में
रिपोर्ट के अनुसार, सदर तहसील में सबसे ज्यादा शत्रु संपत्तियां पाई गईं। इसमें अहमदी बेगम की कोतवाली बाजार में चार दुकानें और नैनीताल रोड पर दो बड़े हाउस शामिल हैं। वहीं रहमत हुसैन के अब्दुल्लापुर मुसाफिर माफी में 21 प्लॉट हैं। अली रजा के मैमोर में 23 प्लॉट और ठिरिया निजावत खां में एक मकान है।
प्रमुख शत्रु संपत्तियों का ब्योरा
खुद्दार खान – ठिरिया निजावत खां में 9 प्लॉट सबरी बेगम – ढकिया में प्लॉट दुलारे खान – मलूकपुर में मकान मिर्जापुर व अन्य गांवों में – कुल 14 प्लॉट रियाज फातिमा – मोहल्ला जखीरा में मकान अली कादिर – मोहल्ला बजरिया मोतीलाल में मकान आजिज अहमद – केसरवान में मकान और दुकानें अच्छन खान – रबड़ी टोला में मकान आयशा बेगम – कांकरटोला में प्लॉट
जमील अहमद – सूफीटोला में प्लॉट बन्ना मियां और मोहम्मदी बेगम – सुनहरी मस्जिद के पास तीन दुकानें मोहम्मद अशफाक और मोहम्मद मुश्ताक – एक मकान इश्तियार अली खान – मालगोदाम रोड पर मकान
निजाकत – साहूकारा बाजार में मकान व दुकान हम्मद हुसैन – बमनपुरी, मलूकपुर में मकान जफर जमानी बेगम – चचैट में मकान व दो प्लॉट मोहम्मद अख्तर अली खान – सैदपुर लश्करीगंज में 7 प्लॉट
गुलाम मोहिद्दीन खान – छिपी टोला में 10 दुकानें और मकान अनवारी बेगम – अगतपुर चुंगी पर प्लॉट मेहंदी मियां – कटरा चांद खां में दो मकान मसीत खान – चमन नगरिया में प्लॉट
अलीमुद्दीन – मानपुरिया दलेल में प्लॉट मोहम्मद यार खान – परतापुर में 12 प्लॉट व ठिरिया निजावत खां में मकान कुतुबुद्दीन, इफ्तिखारुद्दीन, रजिया बेगम – फूटा दरवाजा में मकान वजीर बक्श – रोहिलीटोला में मकान
इरशाद अली – नवदिया अशोक में दो प्लॉट राशिद अहमद व तकिया खातून – मवाई काजिवान में 7 प्लॉट चिम्मन शाज – सिजौलिया में 4 प्लॉट अब्दुल माजिद – मदनपुर में प्लॉट
इंतजार अली, शरायत अली – महेशपुर अटरिया में 3 प्लॉट रमजान खान व हुसैन खान – बिहारमान नगला में 7 प्लॉट शमशाद हुसैन सहित अन्य – रबड़ी टोला में मकान नफीसा बेगम – फरीदपुर, बिलपुर में दो प्लॉट
सरकार करेगी अगली कार्रवाई
जिला प्रशासन द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट के बाद अब शासन स्तर से इन शत्रु संपत्तियों पर विधिक प्रक्रिया के तहत अगली कार्रवाई की जाएगी। इनमें से कई संपत्तियां शहरी क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर स्थित हैं, जिनका सरकारी उपयोग के लिए अधिग्रहण किया जा सकता है।
क्या है शत्रु संपत्ति
शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है जो उन भारतीय नागरिकों के नाम पर दर्ज होती है, जो 1965 या 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान चले गए और वहां की नागरिकता ले ली। भारत सरकार इस संपत्ति को ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित करती है और इसे सरकारी नियंत्रण में ले लेती है।