आतंकियों को अंगुली रखने की जगह नहीं …इतना सुरक्षित बाड़मेर बॉर्डर
पाकिस्तान 1947 से लगातार आतंकियों को पंजाब से लेकर कश्मीर तक पनाह दे रहा है और पाकिस्तान की ओर इनके कैम्प भी है, लेकिन पाकिस्तान के सिंध बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियां आज तक नहीं पनपी है।


बाड़मेर .
पाकिस्तान 1947 से लगातार आतंकियों को पंजाब से लेकर कश्मीर तक पनाह दे रहा है और पाकिस्तान की ओर इनके कैम्प भी है, लेकिन पाकिस्तान के सिंध बॉर्डर पर आतंकी गतिविधियां आज तक नहीं पनपी है। भारत के बाड़मेर के मुसलमानों को पाकिस्तान बरगला नहीं पाया है। वजह दोनों ओर बसी हिन्दू आबादी और सिंधी मुसलमानों की उनसे अपणायत है।
भारत-पाक के इस बॉर्डर पर हिन्दू और सिंधी मुसलमान रहते है। दोनों ही इलाकों की आपस में रिश्तेदारी और रोटी-बेटी का व्यवहार भी है। 1947 में अलग होने के बाद अब तक एक लाख लोग इधर आए है तो अभी सिंध में लाखों की आबादी है। आपसी रिश्तेदारी की वजह से ये लोग दोनों ओर आतंकी गतिविधियों का साथ नहीं देते है। उल्टा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में दी जा रही सहूलियत को लेकर सिंध को अलग देश बनाने की मांग उठा रहे है।
हिन्दू मुसलमां रिश्ता
बॉर्डर पर सिंधी मुसलमान गाय को अम्मा कहते है। गफूर अहमद बुरहान का तला बताते हैै कि बॉर्डर के इस इलाके में भाईचारे की भावना से लोग रहे रहे है। एक दूसरे के पर्व, शादी में सम्मिलित होते है और कद्र करते है। वतन परस्ती का यह नायाब नमूना है।
भारत इस सीमा पर है मजबूत
1965 और 1971 की दो लड़ाइयों में भारत इस सीमा पर मजबूत रहा है। 1965 में भारत ने यहां से मुंहतोड़ जवाब दिया था और सुंदरा की ओर भारत की सेना पाकिस्तान में भीतर तक घुसी थी। 1971 में बाखासर से कूच कर 8000 वर्ग किमी सिंध की जमीन को भारत ने कब्जे में ले लिया था। 1999 के कारगिल युद्ध के वक्त पाकिस्तान ने इधर बढऩे की जुर्रत तक नहीं की।
आइएसआइ रही है नाकाम
आइएसआइ ने जब भी इस इलाके में अपना नेटवर्क बनाने की कोशिश की तब-तब मात खाई गई है। हेरोइन, हथियार और तस्करी के नेटवर्क को कई बार तोड़ा गया। तस्करों को जेल की हवा खानी पड़ी।
क्यों नहीं पनपता यहां आंतक
- छितराई आबादी औ रेगिस्तान का इलाका
- सिंध में सर्वाधिक हिन्दू, जो भारत के भरोसेमंद
- 1971 के युद्ध में सिंध रहा है भारत के कब्जे में
- पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की यहां नहीं चलती
- सिंध की खुफिया जानकारी भारत पहुंचती है आसानी से
- बाड़मेर के सिंधी मुसलमान नहीं देते है पाकिस्तानी एजेंसियों का साथ
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