आइटीआर-1 और 4 उन व्यक्तियों के लिए हैं, जिनकी आय वेतन, एक घर की संपत्ति और सीमित व्यावसायिक आय तक सीमित है। जबकि आइटीआर-2 उन करदाताओं के लिए आवश्यक होता है, जिनके पास एक से अधिक संपत्तियां या पूंजीगत लाभ हैं। आइटीआर-3 व्यवसाय या प्रोफेशन से आय वालों के लिए, आइटीआर-5 पार्टनरशिप फर्म्स, आइटीआर-6 कंपनियों और आइटीआर-7 ट्रस्ट व एनजीओ के लिए उपयोग में आता है। फॉर्म्स के कारण करदाताओं को समय पर रिटर्न भरना मुश्किल हो सकता है।
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की बढ़ी चिंता सीए पीरेश जैन का कहना है कि आयकर विभाग को समय पर सभी आइटीआर फॉर्म्स उपलब्ध कराने चाहिए ताकि करदाता योजना अनुसार विवरण दाखिल कर सकें। इस बार फॉर्म्स की देरी से न केवल रिटर्न भरने की प्रक्रिया बाधित हो रही है, बल्कि टैक्स ऑडिट, बैलेंस शीट तैयारी और अन्य वैधानिक कार्यों पर भी असर पड़ रहा है। गत वर्ष अप्रेल-मई में ही सभी यूटिलिटी उपलब्ध हो गई थी।
समय सीमा और दबाव आयकर विभाग ने पहले ही अंतिम तिथि को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितम्बर कर दिया है, लेकिन यदि शेष फॉर्म्स जल्द जारी नहीं किए गए, तो रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया में देरी और गलतियों की संभावना बढ़ सकती है।