जरूरत पर तारीख बढ़ाई जा सकती है। ये बातें केंद्रीय आवास और शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहीं। वे केंद्रीय बजट के फायदे बताने के लिए रविवार को भोपाल आए थे। मंत्री ने कहा, रैंकिंग के नए प्रावधानों से अच्छा प्रयास करने के बाद भी पिछड़ रहे शहरों का मनोबल बढ़ेगा। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे।
गुजरात ने की बराबरी
इंदौर पर आपत्ति करने वालों से इतर कई राज्य बराबरी करने के लिए नवाचार करने में जुटे हैं। पिछली बार गुजरात ने यही किया। नतीजा, इंदौर के साथ सूरत को भी संयुक्त रूप से पहला पुरस्कार मिला।
स्वच्छता रैंकिंग की स्पर्धा में ये बदलाव कर सकता है केंद्र
- केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के अफसर ने बताया, टियर-1, टियर-2 और टियर-3 वाले शहरों के बीच अलग प्रतिस्पर्धा कराई जा सकती है। इन शहरों पर खर्च का बजट अलग होता है। इन शहरों की रैंकिंग में कुछ कड़े बिंदु भी जोड़े जा सकते हैं।
- संसाधनों व बजट के स्तर पर पिछड़े शहरों की रैंकिंग का दायरा अलग हो सकता है।
- कई शहर नए बसे हैं। वहां सुंदरता, आवागमन, सफाई की शुरुआत से व्यवस्था अलग है। कुछ पुराने शहरों में कम क्षेत्रफल में बड़ी आबादी रहती है। ऐसे शहरों का लाख कोशिशों के बाद भी सफाई के 100 फीसदी मापदंड पूरे करना मुश्किल है। ऐसे शहरों की रैंकिंग उनके जैसे शहरों से कराई जा सकती है।
- साफ-सफाई व्यवस्था में किसी शहर की आबादी, क्षेत्रफल, शिक्षा व प्रति व्यक्ति आय बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसलिए सामान आबादी, क्षेत्रफल, शिक्षा और प्रति व्यक्ति आय के आधार वाले शहरों के बीच रैंकिंग दायरा अलग किया जा सकता है।
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