कोर्ट ने प्रकरण को मॉनिटरिंग के लिए रखकर सितंबर में सुनवाई तय कर दी है। बिलासपुर सहित प्रदेश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था सही न होने पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि ऐसा प्रतीत होता है, बिलासपुर जिले के साथ-साथ राज्य के अन्य जिलों के लिए नई इलेक्ट्रिक बसों की खरीद और संचालन तक सार्वजनिक परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
बसें लाकर संचालन जल्द किया जाएगा, बताई वर्तमान स्थिति
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में शासन की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली वर्ष 2013-2014 में शुरू की गई थी। कुल 451 बसें 70 शहरों-कस्बों में संचालित करने के लिए खरीदी गई, जिससे 9 शहरी समूह बनते हैं। ये 9 समूह रायपुर, दुर्ग-भिलाई, राजनांदगांव, बिलासपुर, कोरबा, रायगढ़, कोरिया, सरगुजा और बस्तर थे।
बिलासपुर के लिए 50 सहित कुल 240 बसें स्वीकृत
उल्लेखनीय है कि पूर्व में हुई सुनवाई में अपर परिवहन आयुक्त ने शपथपत्र प्रस्तुत कर कोर्ट को बताया था कि ई सिटी बस सेवा 10 वर्ष पूरे कर चुकी है। कोविड महामारी के दौरान बसों का संचालन न होने और बसों के पुराने हो जाने के कारण अधिकांश बसें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में चल रही हैं। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना शुरू की है। इसके तहत पुरानी डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों से बदला जाएगा। दुर्ग, भिलाई, बिलासपुर और कोरबा के लिए पहले ही 140 बसें स्वीकृत की जा चुकी हैं। रायपुर शहर के लिए मध्यम श्रेणी की 100 और बसें स्वीकृत की गई हैं। इस प्रकार, शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के अंतर्गत कुल 240 इलेक्ट्रिक बसें आने की उम्मीद है।