जानकारी अनुसार विजय केवट, नरेश बैरागी, रामचरण मीणा ने बताया कि यह स्कूल 2002 में बना था, जिसमें तीन कक्षा कक्ष, ऑफिस व शौचालय बना हुआ है, लेकिन 4 वर्ष से पूरा स्कूल जर्जर अवस्था में पहुंच गया है। बारिश के समय छत टपकती है और बार-बार छत का प्लास्टर गिर रहा है, जिसके चलते कभी भी छत का प्लास्टर गिरने से हादसा घटित हो सकता है। स्कूल भवन में मरम्मत की आवश्यकता है। कई बार स्कूल प्रशासन व ग्राम पंचायत व उच्च अधिकारियों को समस्या से अवगत करा दिया गया है, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं हो रहा है। स्कूल भवन की छत दोबारा कराने की प्रशासन से मांग की है।
इनका कहना है
यह स्कूल 2002 में बना स्कूल में 68 बच्चे अध्यनरत है स्कूल भवन जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है जगह-जगह छत के सरिये नजर आने लगे हैं 10 से 15 बार छत का प्लास्टर गिर चुका है किंतु भगवान के आशीर्वाद से कोई हादसा गठित नहीं हुआ है बारिश के समय छत् टपकती और शौचालय की स्थिति भी खराब है कई बार उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है किंतु अभी तक भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
भगवती शर्मा, अध्यापिका राजकीय प्राइमरी स्कूल, छोटी तीरथ
ग्राम पंचायत के द्वारा छोटी तीरथ प्राइमरी स्कूल की छत 2 वर्ष पूर्व ठीक कराई जा चुकी है और छत का उल्टा प्लास्टर के लिए 2 माह पहले एक लाख रुपए स्वीकृत कर रखे हैं, लेकिन स्कूल के प्रधानाध्यापक के द्वारा लिखित में उल्टा प्लास्टर के बाद प्लास्टर टूट जाए तो पंचायत की जिम्मेदारी नहीं है, जिसकी स्वीकृति प्रधानाध्यापिका के द्वारा नहीं दी जा रही है, जिसके कारण ठेकेदार कार्य नहीं कर रहा है, जिसके कारण यह कार्य अटका पड़ा है।
नारायण स्वामी, ग्राम विकास अधिकारी तीरथ
स्कूल की मरम्मत के लिए कई बार उच्च अधिकारियों व ग्राम पंचायत को जर्जर भवन की मरम्मत कराने के लिए पत्र लिखा जा चुका है। ग्राम पंचायत के द्वारा 2 माह पहले एक लाख रुपए छत का उल्टा प्लास्टर करवाने के लिए स्वीकृत है, लेकिन ग्राम पंचायत छत को ठीक नहीं कर रही है। जर्जर भवन को ठीक नहीं किया गया तो कभी भी हादसा गठित हो सकता है। ममता बड़ोदिया, प्रधानाध्यापिका, उच्च माध्यमिक विद्यालय तीरथ